हॉन्गकॉन्ग/दिल्ली, 16 जून 2025 — दिल्ली आ रही एयर इंडिया की फ्लाइट AI315 को उड़ान के दौरान तकनीकी खराबी के कारण हॉन्गकॉन्ग लौटना पड़ा। यह फ्लाइट बोइंग 787-8 ड्रीमलाइनर विमान द्वारा संचालित की जा रही थी और टेकऑफ के कुछ समय बाद ही तकनीकी समस्या के संकेत मिले, जिसके बाद विमान को एहतियातन वापस मोड़ दिया गया। सूत्रों के अनुसार, विमान की सुरक्षित लैंडिंग के बाद यात्रियों को असुविधा से बचाने के लिए वैकल्पिक व्यवस्था की जा रही है।
क्या हुआ था?
रविवार सुबह एयर इंडिया की फ्लाइट AI315 ने हॉन्गकॉन्ग इंटरनेशनल एयरपोर्ट से दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के लिए उड़ान भरी थी। कुछ ही समय बाद पायलट को तकनीकी खामी के संकेत मिले। सुरक्षा प्रोटोकॉल का पालन करते हुए पायलट ने एयर ट्रैफिक कंट्रोल से संपर्क किया और विमान को तुरंत वापस हॉन्गकॉन्ग ले जाने का निर्णय लिया।

सूत्रों के मुताबिक, तकनीकी खराबी किसी अहम सिस्टम में पाई गई थी, जिसे उड़ान के दौरान ठीक करना संभव नहीं था। हालाँकि, किसी भी आपात स्थिति की सूचना नहीं दी गई और विमान सुरक्षित रूप से हॉन्गकॉन्ग एयरपोर्ट पर लैंड कर गया।
यात्रियों की स्थिति
विमान में सवार 230 यात्रियों को सुरक्षित बाहर निकाला गया और एयर इंडिया ने यात्रियों के लिए अस्थायी आवास, खानपान और वैकल्पिक उड़ान की व्यवस्था शुरू कर दी है। एयर इंडिया की ओर से कहा गया है कि यात्रियों की सुरक्षा सर्वोपरि है और सभी जरूरी कदम उठाए जा रहे हैं।
एयर इंडिया का बयान
एयर इंडिया के प्रवक्ता ने एक आधिकारिक बयान में कहा,
“फ्लाइट AI315 को उड़ान के दौरान तकनीकी समस्या की आशंका के कारण हॉन्गकॉन्ग लौटाया गया। यात्रियों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए यह कदम उठाया गया। हमारी इंजीनियरिंग टीम समस्या की जांच कर रही है और जल्द ही विस्तृत रिपोर्ट साझा की जाएगी।”
तकनीकी पहलू
AI315 फ्लाइट में इस्तेमाल हो रहा बोइंग 787-8 ड्रीमलाइनर एक आधुनिक और लंबी दूरी की विमान सेवा है, जिसे विश्वसनीयता के लिए जाना जाता है। लेकिन किसी भी एयरक्राफ्ट में तकनीकी समस्याएं आ सकती हैं, जो समय पर पहचान ली जाएं तो गंभीर हादसे से बचा जा सकता है।
विमान में संभावित तकनीकी खराबी को लेकर अब जांच की जा रही है। एयरलाइन ने अभी यह स्पष्ट नहीं किया है कि खराबी किस सिस्टम में पाई गई — इंजन, इलेक्ट्रिकल, नेविगेशन या अन्य किसी तकनीकी हिस्से में।
डायवर्जन की प्रक्रिया क्यों अपनाई जाती है?
ऐसे मामलों में जब पायलट को उड़ान के दौरान किसी तकनीकी दिक्कत या संभावित खतरे का अंदेशा होता है, तो विमान को सबसे निकटतम सुरक्षित हवाईअड्डे की ओर मोड़ा जाता है। यह निर्णय पूर्ण रूप से पायलट और एयर ट्रैफिक कंट्रोल (ATC) के बीच समन्वय से होता है।
यात्रियों की प्रतिक्रिया
कुछ यात्रियों ने सोशल मीडिया पर इस अप्रत्याशित घटना को लेकर अपनी प्रतिक्रिया साझा की। अधिकतर ने एयर इंडिया के फैसले की सराहना की कि सुरक्षा को प्राथमिकता दी गई। हालांकि, कुछ यात्रियों ने वैकल्पिक उड़ान में हो रही देरी और सुविधा की कमी को लेकर चिंता भी जताई।
DGCA और एयरलाइंस की निगरानी
भारत की नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (DGCA) ऐसे मामलों में विशेष जांच करती है। एयर इंडिया को इस घटना की विस्तृत रिपोर्ट DGCA को सौंपनी होगी और यदि किसी नियम उल्लंघन की बात सामने आती है तो नियामक कार्रवाई भी हो सकती है।
हाल की अन्य घटनाएं
पिछले कुछ महीनों में तकनीकी कारणों से उड़ानों को डायवर्ट किए जाने के कुछ और मामले सामने आए हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि पुरानी उड़ानों के संचालन में नियमित रखरखाव और समय-समय पर निरीक्षण की अहम भूमिका होती है।
निष्कर्ष
एयर इंडिया की फ्लाइट AI315 का यह मामला तकनीकी सुरक्षा और समय पर निर्णय की मिसाल है। एयरलाइंस की तत्परता और यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की प्रक्रिया सराहनीय रही, लेकिन यह घटना यह भी दिखाती है कि विमानन क्षेत्र में सतर्कता हमेशा जरूरी है। यात्रियों की सेवा, संचार और समाधान को लेकर एयर इंडिया की अगली कार्रवाई पर सभी की नजरें हैं।