हरिद्वार/दिल्ली (13 जुलाई, 2025):
जहां सावन महीने में लाखों कांवड़िए भगवान शिव के जलाभिषेक के लिए हरिद्वार से जल लेकर निकलते हैं, वहीं इस बार एक अलग दृश्य देखने को मिला। हरिद्वार से दिल्ली के लिए रवाना हुआ एक विशेष कांवड़ ग्रुप देश के शहीदों को श्रद्धांजलि देने के उद्देश्य से निकला। इस ग्रुप ने अपनी यात्रा को नाम दिया है — “ऑपरेशन सिंदूर”।
इस अनोखी पहल की शुरुआत 6 युवाओं ने की है, जो अपने कंधों पर तिरंगा और शहीदों की तस्वीरें लिए चल रहे हैं। उनका उद्देश्य सिर्फ धार्मिक आस्था नहीं, बल्कि देश के लिए बलिदान देने वाले वीर सपूतों को याद करना है। यह कांवड़ यात्रा हरिद्वार से शुरू होकर दिल्ली के लिए रवाना हुई है और रास्ते भर लोगों का ध्यान खींच रही है।
“देश की मिट्टी के लिए जिन्होंने अपना खून बहाया, उनके नाम एक सिंदूर” — इस सोच को लेकर इन युवाओं ने इस कांवड़ यात्रा का आयोजन किया है। यात्रा के दौरान इन युवाओं ने जगह-जगह रुककर शहीदों की कहानियां साझा कीं और लोगों को जागरूक किया कि असली पूजा उन्हीं वीरों की है जिन्होंने देश की रक्षा में अपना सब कुछ न्योछावर कर दिया।
ग्रुप के सदस्य अंकित यादव ने बताया, “हम हर साल कांवड़ लाते हैं, लेकिन इस बार हमने इसे देश के उन वीरों को समर्पित किया है जिनकी वजह से हम आज सुरक्षित हैं। हमने अपने कांवड़ पर शहीदों की तस्वीरें लगाईं हैं और तिरंगा लहराते हुए पूरे रास्ते में देशभक्ति के गीत गाते हुए चल रहे हैं।”
इस यात्रा में सबसे खास बात यह है कि युवाओं ने अपने कांवड़ को खास तरीके से सजाया है — ऊपर भगवा रंग, बीच में तिरंगा, और नीचे शहीदों की तस्वीरें। इसके अलावा हर सदस्य ने अपनी टी-शर्ट पर लिखा है “जय हिंद, ऑपरेशन सिंदूर”। इस अनोखी वेशभूषा ने कांवड़ यात्रा के पारंपरिक रंग में एक नई ऊर्जा भर दी है।
रास्ते में स्थानीय लोगों ने भी इन युवाओं की इस पहल का स्वागत किया। कहीं फूल बरसाए गए, तो कहीं इनके लिए विशेष ठंडे पानी और प्रसाद की व्यवस्था की गई। लोगों ने कहा कि यह यात्रा सिर्फ एक धार्मिक आयोजन नहीं रही, बल्कि एक राष्ट्रीय श्रद्धांजलि यात्रा बन गई है।
यात्रा का रूट:
“ऑपरेशन सिंदूर” यात्रा हरिद्वार से शुरू होकर ऋषिकेश, मुजफ्फरनगर, मेरठ होते हुए दिल्ली पहुंचेगी। हर स्थान पर यह ग्रुप शहीदों की स्मृति में 2 मिनट का मौन रखता है और आसपास के लोगों से आग्रह करता है कि वे भी अपने स्तर पर देश की सेवा करें।
राजनीतिक और सामाजिक प्रतिक्रिया:
इस पहल को लेकर स्थानीय प्रशासन और सामाजिक संगठनों ने भी सराहना की है। दिल्ली के एक सामाजिक कार्यकर्ता राहुल शर्मा ने कहा, “ऐसी यात्राएं आज के युवाओं की सोच और देशभक्ति को दर्शाती हैं। धार्मिक परंपराओं में देश के नायकों को शामिल करना एक सराहनीय प्रयास है।”
सुरक्षा व्यवस्था और प्रशासन की भूमिका:
चूंकि यह यात्रा विशेष थी और इसमें राष्ट्रध्वज का उपयोग हो रहा था, इसलिए स्थानीय पुलिस ने सुरक्षा व्यवस्था को और मजबूत किया। दिल्ली पुलिस और उत्तराखंड पुलिस ने इस कांवड़ ग्रुप के लिए विशेष सुरक्षा दस्ते भी मुहैया कराए, ताकि यात्रा शांतिपूर्वक पूरी हो सके।
क्या कहते हैं श्रद्धालु और आम लोग:
रास्ते में मिले श्रद्धालुओं का कहना था कि यह यात्रा उनकी आंखों को नम और दिल को गर्व से भर देने वाली थी। मेरठ के निवासी सुनीता देवी ने कहा, “मैंने कांवड़ यात्रा तो बहुत देखी, लेकिन ऐसा पहली बार देखा कि भगवान के साथ देश के सपूतों को भी पूजा जा रहा है।”
यात्रा का समापन:
इस कांवड़ यात्रा का समापन दिल्ली के एक शिव मंदिर में होगा, जहां ये सभी युवा शहीदों के नाम से जलाभिषेक करेंगे और एक विशेष श्रद्धांजलि सभा आयोजित करेंगे। इस सभा में पूर्व सैनिकों और शहीद परिवारों को भी आमंत्रित किया गया है।