रुद्रप्रयाग/उत्तराखंड।
उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में रविवार सुबह एक दिल दहला देने वाला हादसा हुआ, जब केदारनाथ से गुप्तकाशी जा रहा एक हेलिकॉप्टर गौरीकुंड के घने जंगलों में दुर्घटनाग्रस्त हो गया। इस हादसे में सात लोगों की मौके पर ही मौत हो गई, जिनमें पायलट समेत एक 10 वर्षीय बच्ची भी शामिल थी। हादसे की सूचना मिलते ही स्थानीय प्रशासन, एसडीआरएफ और रेस्क्यू टीमें मौके पर पहुंचीं और राहत एवं बचाव कार्य शुरू किया गया।
हेलिकॉप्टर में सवार थे ये लोग
आर्यन एविएशन कंपनी का यह हेलिकॉप्टर श्रद्धालुओं को लेकर केदारनाथ से गुप्तकाशी लौट रहा था। उड़ान भरने के कुछ ही देर बाद हेलिकॉप्टर खराब मौसम के चलते रास्ता भटक गया और सुबह लगभग 5:30 बजे गौरीकुंड के पास क्रैश हो गया। मृतकों में शामिल हैं:
- राजवीर (पायलट)
- विक्रम रावत
- विनोद
- तृष्टि सिंह
- राजकुमा
- श्रद्धा
- राशी (10 वर्षीय बच्ची)
घटना के बाद चारधाम यात्रा के लिए चल रही सभी हेलिकॉप्टर सेवाओं को तत्काल प्रभाव से स्थगित कर दिया गया है।

सीएम पुष्कर सिंह धामी ने जताया शोक
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने हादसे पर गहरा शोक जताया। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘X’ पर लिखा:
“रुद्रप्रयाग जिले में हेलिकॉप्टर क्रैश की खबर अत्यंत दुखद है। मृतकों के परिजनों के प्रति मेरी गहरी संवेदनाएं हैं। राहत और बचाव कार्य जारी है और सभी ज़रूरी कदम उठाए जा रहे हैं।”
मुख्यमंत्री ने राज्य के मुख्य सचिव को निर्देश दिए हैं कि एक विशेष तकनीकी समिति का गठन किया जाए जो हेलिकॉप्टर ऑपरेशन्स की सभी सुरक्षा मानकों की समीक्षा करे और नई SOP (Standard Operating Procedure) तैयार करे।
मौसम बना हादसे की वजह
प्रारंभिक जांच में यह सामने आया है कि दुर्घटना का कारण खराब मौसम था। अधिकारीयों के अनुसार, हेलिकॉप्टर सुबह 05:17 बजे केदारनाथ से उड़ान भरकर गुप्तकाशी की ओर रवाना हुआ था। उड़ान के कुछ ही समय बाद मौसम ने अचानक करवट ली और विज़िबिलिटी बेहद कम हो गई। अधिकारियों ने बताया कि हेलिकॉप्टर दिशा भ्रम (disorientation) का शिकार हो गया, जिससे वह रास्ता भटक गया और घने जंगलों में जाकर क्रैश हो गया।
हाई-लेवल जांच का ऐलान
मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि राज्य सरकार ने पहले से ही हेलिकॉप्टर दुर्घटनाओं की जांच के लिए गठित एक उच्च-स्तरीय समिति को अब इस हादसे की भी जांच सौंपी है।
यह समिति हादसे की हर पहलू से जांच करेगी—चाहे वह तकनीकी खामी हो, पायलट से जुड़ा मसला हो या मौसम से संबंधित चूक। सरकार ने दोषियों पर सख्त कार्रवाई का आश्वासन दिया है।
DGCA और UCADA का फैसला: चारधाम में हेली सेवाएं बंद
इस हादसे के बाद डीजीसीए (नागर विमानन महानिदेशालय) और UCADA (उत्तराखंड सिविल एविएशन डेवलपमेंट अथॉरिटी) ने संयुक्त रूप से निर्णय लिया है कि चारधाम यात्रा के सभी हेलिकॉप्टर सेवाएं अगली सूचना तक स्थगित रहेंगी। यह कदम श्रद्धालुओं की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए लिया गया है।
स्थानीय लोगों की प्रतिक्रिया
गौरीकुंड और केदारनाथ क्षेत्र के स्थानीय लोगों में इस घटना को लेकर गहरा शोक है। एक स्थानीय दुकानदार ने बताया कि, “हमने ऊपर से धुएं और धमाके की आवाज सुनी। जब हम वहां पहुंचे तो मंजर बेहद भयानक था।”
पिछले हादसों से सबक लेने की जरूरत
यह कोई पहली बार नहीं है जब चारधाम यात्रा के दौरान हेलिकॉप्टर क्रैश की घटना हुई हो। इससे पहले भी दुर्गम मौसम और तकनीकी खामियों के चलते दुर्घटनाएं हो चुकी हैं। ऐसे में सरकार और हेलिकॉप्टर कंपनियों को मिलकर एक ठोस नीति बनाने की ज़रूरत है जिससे श्रद्धालुओं की जान को कोई खतरा न हो।
श्रद्धांजलि और सरकार की सहायता
राज्य सरकार ने मृतकों के परिजनों को मुआवजा देने की घोषणा की है। मुख्यमंत्री कार्यालय ने जानकारी दी है कि मृतकों के परिवारों को हर संभव आर्थिक और मानसिक सहायता दी जाएगी। साथ ही इस हादसे में शामिल हेलिकॉप्टर कंपनी की जिम्मेदारी भी तय की जाएगी।
✍ निष्कर्ष:
यह हादसा एक बार फिर यह सोचने पर मजबूर करता है कि धार्मिक पर्यटन जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में सुरक्षा के मानकों पर कहीं कोई चूक तो नहीं हो रही? समय रहते अगर मौसम पर पूरी नजर रखी जाती और उड़ान की अनुमति सही आकलन के बाद दी जाती, तो शायद यह हादसा टाला जा सकता था।
सरकार की ओर से जांच और नई SOP की बात जरूर की जा रही है, लेकिन यह ज़रूरी है कि ये कदम कागज़ी कार्रवाई से आगे जाकर ज़मीनी स्तर पर अमल में लाए जाएं।