
कोलकाता, 16 जुलाई 2025
पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता में मंगलवार को Integrated Child Development Services (ICDS) से जुड़ी आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं ने जोरदार प्रदर्शन किया।
यह रैली पश्चिम बंगाल आंगनवाड़ी वर्कर्स एंड हेल्पर्स यूनियन और ऑल इंडिया यूनाइटेड ट्रेड यूनियन सेंटर (AIUTUC) से संबद्ध सोशलिस्ट यूनिटी सेंटर ऑफ इंडिया (कम्युनिस्ट) के नेतृत्व में आयोजित की गई।
सैकड़ों की संख्या में जुटीं महिलाओं ने सरकार के खिलाफ नाराजगी जताते हुए पोषण बजट में वृद्धि, रोजगार की स्थायित्व और नियमितीकरण जैसी मांगों को लेकर मार्च निकाला। कार्यकर्ताओं ने नारेबाजी करते हुए कहा कि बच्चों के पोषण, शिक्षा और स्वास्थ्य की जिम्मेदारी निभाने के बावजूद सरकार उनकी उपेक्षा कर रही है।
इन कार्यकर्ताओं का आरोप है कि फरवरी 2025 में राज्य सरकार की ओर से जिन बजट और भत्तों की घोषणाएं की गई थीं, वह आज तक जमीनी स्तर पर लागू नहीं की गई हैं। आंगनवाड़ी केंद्रों के माध्यम से लाखों बच्चों को पोषण और प्रारंभिक शिक्षा दी जाती है, लेकिन इन केंद्रों में काम कर रही महिलाओं को न तो पर्याप्त वेतन मिलता है और न ही स्थायी नौकरी का भरोसा।
प्रदर्शन में शामिल एक आंगनवाड़ी कार्यकर्ता ने कहा, “हम बच्चों के लिए पोषण कार्यक्रम चलाते हैं, टीकाकरण के लिए घर-घर जाते हैं, माताओं को जागरूक करते हैं और गर्भवती महिलाओं की देखभाल में भी सहायता करते हैं। फिर भी हमें ठेका कर्मचारी समझा जाता है। यह अन्याय है।”
एक अन्य सहायिका ने कहा, “हम महीने में 5000-6000 रुपए पाते हैं, वो भी कई बार समय पर नहीं मिलते। इस रकम में परिवार चलाना और बच्चों की पढ़ाई कराना असंभव है। हम चाहते हैं कि हमें स्थायी कर्मचारी का दर्जा दिया जाए।”
आंदोलनकारी महिलाओं ने अपने हाथों में बैनर और पोस्टर लिए हुए थे, जिन पर लिखा था- “हम भी कर्मचारी हैं, अधिकार दो”, “बजट बढ़ाओ, काम का सम्मान करो”, “आंगनवाड़ी सेविकाओं को स्थायी करो”, जैसे नारे।
पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा फरवरी में ICDS के बजट में वृद्धि की घोषणा की गई थी, लेकिन यूनियनों का कहना है कि उन घोषणाओं को अब तक कार्यान्वित नहीं किया गया है। प्रदर्शनकारी यूनियनों ने आरोप लगाया कि यह सिर्फ चुनावी घोषणा थी, जिसमें अब सरकार रुचि नहीं ले रही है।
AIUTUC की नेता और यूनियन की संयोजक श्रीमती मृणालिनी सेन ने कहा, “अगर सरकार हमारी मांगों पर ध्यान नहीं देती है, तो यह आंदोलन और व्यापक रूप लेगा। हम विधानसभा तक जाएंगे। पोषण और जनस्वास्थ्य जैसी महत्वपूर्ण जिम्मेदारी निभा रही महिलाएं अगर खुद उपेक्षित रहेंगी, तो देश का भविष्य सुरक्षित कैसे होगा?”
गौरतलब है कि Integrated Child Development Services (ICDS) भारत सरकार की एक प्रमुख योजना है, जिसका उद्देश्य बच्चों में कुपोषण को कम करना, मातृत्व स्वास्थ्य को बेहतर बनाना और शुरुआती शिक्षा देना है। इस योजना का संचालन राज्यों के माध्यम से होता है, लेकिन केंद्र और राज्य दोनों का इसमें साझा वित्तीय योगदान होता है।
पश्चिम बंगाल में हजारों आंगनवाड़ी कार्यकर्ता और सहायिकाएं इस योजना के तहत कार्यरत हैं। ये महिलाएं ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में बच्चों और माताओं की देखभाल के लिए बेहद अहम भूमिका निभा रही हैं, लेकिन लंबे समय से वेतन, स्थायित्व और सामाजिक सुरक्षा के मुद्दों को लेकर संघर्ष कर रही हैं।
पिछले एक साल में यह दूसरी बार है जब पश्चिम बंगाल में ICDS वर्कर्स ने व्यापक विरोध प्रदर्शन किया है। इससे पहले जनवरी 2025 में भी आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं ने कोलकाता में रैली निकाली थी, लेकिन सरकार की ओर से ठोस आश्वासन नहीं मिला।
प्रदर्शन के बाद यूनियन प्रतिनिधियों ने राज्यपाल और मुख्यमंत्री को एक ज्ञापन सौंपा, जिसमें 1. पोषण योजना के लिए अलग से बजट आवंटन, 2. सभी कार्यकर्ताओं को स्थायी कर्मचारी घोषित करने, 3. मासिक वेतन में वृद्धि, 4. समय पर भुगतान और 5. भविष्य निधि, बीमा और पेंशन जैसी सामाजिक सुरक्षा योजनाओं की मांग शामिल है।
यूनियन नेताओं ने चेतावनी दी है कि अगर 15 दिनों के अंदर सरकार कोई ठोस कार्रवाई नहीं करती है, तो वे अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जा सकती हैं, जिससे राज्य में ICDS योजनाओं की सेवाएं प्रभावित हो सकती हैं।
इस प्रदर्शन ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा किया है कि जो महिलाएं देश के भविष्य की नींव रखती हैं, क्या उन्हें वही सम्मान, अधिकार और सुविधा मिल रही है, जिसकी वे हकदार हैं?