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खड़गपुर रेलवे डिवीजन द्वारा पुरी गेट और अन्य रेलवे क्षेत्र में अतिक्रमण हटाने के लिए नोटिस जारी किया गया था। इस कदम का स्थानीय लोगों ने विरोध किया, क्योंकि इन क्षेत्रों में वर्षों से लोग बसा करते हैं। ‘बस्ती बचाओ संग्राम कमेटी’ ने इसे जनविरोधी और गरीब विरोधी कदम बताते हुए प्रदर्शन का ऐलान किया। तृणमूल कांग्रेस ने भी इस आंदोलन का समर्थन किया।

खड़गपुर में अतिक्रमण हटाने पर हंगामा, डीआरएम के ट्रांसफर की मांग तेज

खड़गपुर (पश्चिम बंगाल), 13 जून 2025:
पश्चिम बंगाल के खड़गपुर शहर में रेलवे अतिक्रमण के मुद्दे ने एक बार फिर उबाल पकड़ लिया है। गुरुवार को ‘बस्ती बचाओ संग्राम कमेटी’ और तृणमूल कांग्रेस (TMC) के नेताओं और समर्थकों ने मिलकर डीआरएम कार्यालय का घेराव किया और जोरदार विरोध प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों ने डीआरएम के.आर. चौधरी के तत्काल ट्रांसफर की मांग करते हुए आरोप लगाया कि वे शहर में तानाशाही चला रहे हैं और अशांति फैला रहे हैं।

प्रदर्शन उस समय और उग्र हो गया जब बीते बुधवार को डीआरएम आवास के घेराव के दौरान कथित लाठीचार्ज की खबर सामने आई। इसके बाद से ही खड़गपुर का माहौल तनावपूर्ण बना हुआ है।

प्रदर्शन की पृष्ठभूमि

खड़गपुर रेलवे डिवीजन द्वारा पुरी गेट और अन्य रेलवे क्षेत्र में अतिक्रमण हटाने के लिए नोटिस जारी किया गया था। इस कदम का स्थानीय लोगों ने विरोध किया, क्योंकि इन क्षेत्रों में वर्षों से लोग बसा करते हैं।
‘बस्ती बचाओ संग्राम कमेटी’ ने इसे जनविरोधी और गरीब विरोधी कदम बताते हुए प्रदर्शन का ऐलान किया। तृणमूल कांग्रेस ने भी इस आंदोलन का समर्थन किया।

बुधवार को हुए घटनाक्रम

बुधवार को कमेटी के कार्यकर्ताओं ने डीआरएम बंगले का घेराव किया। कमेटी का कहना था कि यह शांतिपूर्ण विरोध था, लेकिन अचानक आरपीएफ जवानों द्वारा लाठीचार्ज किया गया।

कमेटी के एक पदाधिकारी ने बताया:

“हम नारेबाजी कर रहे थे, कोई हिंसा नहीं कर रहे थे। तभी आरपीएफ ने बर्बरतापूर्वक लाठीचार्ज कर दिया। कई कार्यकर्ता घायल हो गए।”

इस घटना ने आंदोलनकारियों के गुस्से को और भड़का दिया और गुरुवार को बड़ी संख्या में लोग सड़कों पर उतरे।

गुरुवार को विशाल रैली और प्रदर्शन

गुरुवार को खड़गपुर शहर के मुख्य हिस्सों से रैली निकालते हुए हजारों की संख्या में प्रदर्शनकारी डीआरएम कार्यालय पहुंचे। यहां डीआरएम चौधरी के खिलाफ जमकर नारेबाजी की गई।

प्रदर्शनकारियों ने आरोप लगाया कि जब से के.आर. चौधरी ने डीआरएम का कार्यभार संभाला है, शहर का वातावरण अशांत हो गया है। उन्होंने उन पर तानाशाही रवैया अपनाने, स्थानीय लोगों की अनदेखी करने और अतिक्रमण हटाने के नाम पर लोगों को बेघर करने का आरोप लगाया।

रैली में क्या मांगें रखी गईं?

  1. डीआरएम चौधरी का तत्काल ट्रांसफर।
  2. पुरी गेट और अन्य इलाकों में अतिक्रमण हटाने की प्रक्रिया रोकी जाए।
  3. लाठीचार्ज में घायल लोगों को मुआवजा दिया जाए।
  4. स्थानीय लोगों के पुनर्वास की उचित व्यवस्था की जाए।

क्या बोले तृणमूल नेता?

तृणमूल कांग्रेस के स्थानीय नेताओं ने कमेटी के साथ मिलकर मंच से एलान किया कि

“अगर खड़गपुर में रेलवे की तानाशाही बंद नहीं हुई, तो यह आंदोलन और भी तेज होगा।”

टीएमसी नेताओं ने आरोप लगाया कि रेलवे केवल गरीबों के खिलाफ एक्शन लेता है, जबकि बड़े बिल्डर्स और प्रभावशाली लोगों को नजरअंदाज किया जाता है।

डीआरएम पर गंभीर आरोप

प्रदर्शनकारियों ने डीआरएम चौधरी पर शहर में तनाव फैलाने, स्थानीय जनप्रतिनिधियों की बात न सुनने, और जनभावनाओं की अनदेखी करने का आरोप लगाया। उनका कहना है कि रेलवे अधिकारी एकतरफा कार्रवाई कर रहे हैं, जिससे जनता में रोष है।

कड़ी सुरक्षा व्यवस्था

रैली को देखते हुए डीआरएम कार्यालय और रेलवे परिसर में भारी संख्या में आरपीएफ जवान तैनात किए गए थे। प्रदर्शन के दौरान कोई बड़ी अप्रिय घटना नहीं हुई, लेकिन स्थिति पूरी तरह तनावपूर्ण बनी रही।

रेलवे प्रशासन की सफाई

रेलवे अधिकारियों का कहना है कि उन्होंने केवल रेलवे की जमीन को खाली कराने के लिए वैधानिक प्रक्रिया अपनाई है।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा:

“हम केवल उन्हीं जगहों पर कार्रवाई कर रहे हैं जहां रेलवे संपत्ति पर अतिक्रमण हुआ है। लोगों की समस्याओं को ध्यान में रखते हुए नोटिस पहले ही जारी किया गया था।”

लाठीचार्ज के आरोपों पर रेलवे ने कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है।

सामाजिक प्रतिक्रिया

स्थानीय समाजसेवियों और बुद्धिजीवियों ने घटना पर चिंता जताई है। उनका कहना है कि

“रेलवे और स्थानीय लोगों के बीच संवाद की जरूरत है। दोनों पक्षों को टकराव की जगह समाधान की दिशा में बढ़ना चाहिए।”

आगे की रणनीति

‘बस्ती बचाओ संग्राम कमेटी’ और तृणमूल कांग्रेस ने घोषणा की है कि अगर सरकार ने उनकी मांगों पर जल्द कार्रवाई नहीं की, तो आंदोलन को राज्यव्यापी स्तर पर ले जाया जाएगा।

निष्कर्ष

खड़गपुर में रेलवे अतिक्रमण को लेकर उठा विवाद अब राजनीतिक रंग ले चुका है। एक ओर रेलवे प्रशासन अपनी ज़मीन वापस पाने के लिए वैधानिक प्रक्रिया का हवाला दे रहा है, वहीं दूसरी ओर स्थानीय जनता और राजनीतिक दल इसे गरीब विरोधी कदम बता रहे हैं।

डीआरएम के ट्रांसफर की मांग को लेकर स्थिति और तनावपूर्ण हो सकती है, यदि जल्द समाधान नहीं निकाला गया।

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