पटना, 16 जुलाई 2025
बिहार पुलिस ने पटना के चर्चित उद्योगपति गोपाल खेमका की हत्या के मामले में बड़ी कार्रवाई करते हुए गांधी मैदान थाना के थानाध्यक्ष (SHO) को कर्तव्य में लापरवाही बरतने के आरोप में निलंबित कर दिया है।

यह जानकारी बुधवार को पटना के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (SSP) कार्तिकेय के. शर्मा ने दी।
एसएसपी ने स्पष्ट किया कि SHO पर आरोप है कि उन्होंने घटना के पूर्व और पश्चात कर्तव्यों का पालन गंभीरता से नहीं किया, जिससे इस जघन्य अपराध को रोका नहीं जा सका और जांच प्रक्रिया में बाधा उत्पन्न हुई। पुलिस की आंतरिक जांच में पाया गया कि SHO ने सुरक्षा व्यवस्था को लेकर लापरवाही बरती थी और खेमका परिवार की ओर से पहले जताई गई चिंता को गंभीरता से नहीं लिया गया।
क्या है मामला?
पटना के जाने-माने उद्योगपति और व्यवसायिक समूह के प्रमुख गोपाल खेमका की हत्या ने पूरे बिहार को झकझोर कर रख दिया। यह घटना पटना के व्यस्त और संवेदनशील इलाके में घटी, जहां सुरक्षा को लेकर सवाल उठना लाज़मी है। गोपाल खेमका पर अज्ञात हमलावरों ने गोलीबारी की, जिसमें उनकी मौके पर ही मौत हो गई थी। यह वारदात गांधी मैदान थाना क्षेत्र में घटी, जो शहर के सबसे महत्वपूर्ण और सुरक्षित क्षेत्रों में गिना जाता है।
SHO की भूमिका पर सवाल
पुलिस सूत्रों के अनुसार, SHO को पहले से ही खेमका परिवार द्वारा सुरक्षा को लेकर आगाह किया गया था। लेकिन आरोप है कि उन्होंने इसे गंभीरता से नहीं लिया और न ही कोई सुरक्षात्मक कदम उठाया गया। यही वजह रही कि हमलावर इतनी आसानी से वारदात को अंजाम देने में सफल रहे।
पटना पुलिस की जांच रिपोर्ट में सामने आया है कि SHO ने न तो इलाके में पर्याप्त पेट्रोलिंग करवाई, और न ही किसी तरह की सुरक्षात्मक उपस्थिति सुनिश्चित की। इसके अलावा, घटना के बाद की गई प्राथमिक कार्रवाई और FIR दर्ज करने की प्रक्रिया में भी लापरवाही देखने को मिली।
एसएसपी का बयान
पटना के SSP कार्तिकेय के. शर्मा ने मीडिया से बातचीत में कहा, “SHO को कर्तव्य में लापरवाही और सतर्कता की कमी के चलते तत्काल प्रभाव से निलंबित किया गया है। विभागीय जांच जारी है और अन्य अधिकारियों की भूमिका की भी समीक्षा की जा रही है। हम यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि इस जघन्य हत्या के लिए जिम्मेदार किसी भी व्यक्ति को बख्शा न जाए, चाहे वह अपराधी हो या जिम्मेदार पदाधिकारी।”
विरोध और राजनीतिक बयानबाजी
घटना के बाद से ही स्थानीय व्यापारिक संगठनों और राजनीतिक दलों ने प्रशासन के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। कई संगठनों ने आरोप लगाया है कि राज्य की कानून-व्यवस्था पूरी तरह चरमरा गई है और उद्योगपतियों, व्यापारियों तथा आम नागरिकों की सुरक्षा भगवान भरोसे है।
विपक्षी दलों ने इसे सरकार की विफलता करार देते हुए पूरे मामले की सीबीआई जांच की मांग की है। जेडीयू और आरजेडी नेताओं ने भी इस घटना पर दुख जताते हुए प्रशासन को घेरा है।
जांच और अगला कदम
फिलहाल इस हत्याकांड की जांच के लिए विशेष टीम गठित कर दी गई है जिसमें पटना पुलिस की क्राइम ब्रांच के अनुभवी अधिकारी शामिल हैं। हत्या के पीछे की साजिश, व्यक्तिगत रंजिश, व्यवसायिक विवाद अथवा कोई संगठित अपराध की कड़ी को खंगाला जा रहा है। CCTV फुटेज, कॉल डिटेल्स और घटनास्थल के आस-पास मौजूद चश्मदीदों के बयान लिए जा रहे हैं।
सख्त कार्रवाई का संकेत
बिहार पुलिस मुख्यालय ने स्पष्ट किया है कि कानून-व्यवस्था से कोई भी समझौता नहीं किया जाएगा और अगर इस मामले में किसी और अधिकारी की भी भूमिका सामने आती है तो उस पर भी कठोर कार्रवाई की जाएगी।
निष्कर्ष
उद्योगपति गोपाल खेमका की हत्या न सिर्फ एक गंभीर आपराधिक घटना है, बल्कि यह प्रशासनिक सतर्कता और सुरक्षा व्यवस्था पर भी गहरे सवाल खड़े करती है। SHO के निलंबन से यह संदेश जरूर गया है कि लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी, लेकिन यह देखना होगा कि जांच कितनी निष्पक्ष और तेज़ी से आगे बढ़ती है।