नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) के पूर्व विशेष न्यायाधीश की हथियार लाइसेंस के लिए दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए संबंधित अधिकारियों को जल्द निर्णय लेने का निर्देश दिया है।

न्यायमूर्ति सचिन दत्ता की एकल पीठ ने याचिका का निपटारा करते हुए कहा कि सरकार की ओर से पेश अधिवक्ताओं ने यह स्पष्ट किया है कि नवंबर 2023 में दी गई आवेदन पर शीघ्र निर्णय लिया जाएगा और याचिकाकर्ता को इसकी जानकारी दे दी जाएगी।
व्यक्तिगत सुरक्षा का हवाला
पूर्व एनआईए न्यायाधीश ने अपनी याचिका में व्यक्तिगत सुरक्षा कारणों का हवाला देते हुए दिल्ली सरकार और दिल्ली पुलिस से हथियार लाइसेंस के आवेदन पर शीघ्र निर्णय की मांग की थी। उनका कहना था कि उनके द्वारा कई गंभीर मामलों की सुनवाई की गई है, जिसके चलते उन्हें निजी स्तर पर खतरे की आशंका है।
कोर्ट का संतुलित रुख
दिल्ली हाईकोर्ट ने मामले पर संतुलित रुख अपनाते हुए अधिकारियों को आदेश दिया कि वे याचिकाकर्ता के आवेदन पर नियमों के तहत उचित निर्णय लें। कोर्ट ने कहा कि यह मामला प्रशासनिक प्रक्रिया का हिस्सा है, और इसमें अनावश्यक देरी उचित नहीं है।
न्यायमूर्ति सचिन दत्ता ने कहा, “सरकारी पक्ष ने सूचित किया है कि याचिका में उल्लिखित 2023 के आवेदन पर जल्द निर्णय लिया जाएगा और याचिकाकर्ता को जानकारी दी जाएगी। अतः इस याचिका का निपटारा किया जाता है।”
संवेदनशील मामलों की सुनवाई का असर
पूर्व न्यायाधीश ने यह भी तर्क दिया कि उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान आतंकवाद, संगठित अपराध और अन्य संवेदनशील मामलों की सुनवाई की है। ऐसे में उनके खिलाफ खतरे की संभावनाएं बनी रहती हैं।
उन्होंने यह भी बताया कि आवेदन किए जाने के कई महीने बीतने के बावजूद कोई निर्णय नहीं लिया गया, जिससे उनकी सुरक्षा को लेकर चिंता और बढ़ गई है।
लाइसेंस प्रक्रिया में देरी पर सवाल
याचिकाकर्ता की ओर से यह भी कहा गया कि लाइसेंस आवेदन प्रक्रिया में अनावश्यक विलंब न केवल प्रशासनिक विफलता को दर्शाता है, बल्कि इससे व्यक्ति की सुरक्षा भी खतरे में पड़ सकती है।
वर्तमान में हथियार लाइसेंस संबंधित आवेदन गृह विभाग के तहत आते हैं, जिसमें पुलिस रिपोर्ट, पृष्ठभूमि जांच और अन्य औपचारिकताओं के बाद अंतिम निर्णय लिया जाता है।
दिल्ली सरकार और पुलिस को निर्देश
कोर्ट के निर्देश के बाद अब दिल्ली सरकार और दिल्ली पुलिस पर यह जिम्मेदारी है कि वे नवंबर 2023 से लंबित पड़े इस आवेदन पर जल्द से जल्द निर्णय लें। हालांकि कोर्ट ने कोई समयसीमा निर्धारित नहीं की है, लेकिन “शीघ्र” शब्द का प्रयोग करते हुए स्पष्ट किया गया है कि इस तरह के मामलों में अनावश्यक देरी नहीं होनी चाहिए।
क्या है कानूनी प्रक्रिया?
भारत में हथियार लाइसेंस प्राप्त करने की प्रक्रिया सख्त और समय लेने वाली होती है। आवेदनकर्ता को अपने निजी विवरण, पहचान पत्र, निवास प्रमाण, कारण (जैसे व्यक्तिगत सुरक्षा), और पुलिस सत्यापन देना होता है। यदि आवेदनकर्ता पूर्व न्यायिक अधिकारी या संवेदनशील पद पर रहा हो, तो विशेष सतर्कता बरती जाती है।
ऐसे मामलों में निर्णय में देरी अक्सर सुरक्षा एजेंसियों की रिपोर्ट लंबित रहने या अतिरिक्त दस्तावेज़ों की आवश्यकता के कारण होती है।
निष्कर्ष
दिल्ली हाईकोर्ट का यह निर्देश प्रशासनिक जवाबदेही की ओर एक स्पष्ट संकेत है, खासकर उन मामलों में जहां आवेदनकर्ता किसी संवेदनशील पद पर कार्य कर चुका हो।
पूर्व एनआईए जज के हथियार लाइसेंस की याचिका पर कोर्ट ने भले ही सीधे लाइसेंस देने का आदेश नहीं दिया हो, लेकिन सरकार और पुलिस को यह जरूर कहा है कि वे तय समय में नियमों के अनुसार निष्पक्ष निर्णय लें।
अब सभी की निगाहें इस पर हैं कि दिल्ली सरकार और पुलिस इस निर्देश के आधार पर कितनी शीघ्रता से निर्णय लेते हैं और पूर्व जज की सुरक्षा को लेकर कितनी गंभीरता दिखाते हैं।