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बिहार विधानसभा का मानसून सत्र हंगामेदार शुरुआत के बाद 22 जुलाई तक स्थगित

बिहार विधानसभा के मानसून सत्र की शुरुआत सोमवार (21 जुलाई, 2025) को विपक्षी दलों के तीखे विरोध और भारी हंगामे के बीच हुई। विशेष तीव्र पुनरीक्षण (Special Intensive Revision – SIR) कार्यक्रम के खिलाफ विपक्ष के विरोध के चलते कार्यवाही शुरू होते ही बाधित हो गई।

सदन में दिवंगत सदस्यों को श्रद्धांजलि देने के बाद विधानसभा की कार्यवाही मंगलवार, 22 जुलाई सुबह 11 बजे तक स्थगित कर दी गई।

विधानसभा अध्यक्ष अवध बिहारी चौधरी ने सदन की कार्यवाही आरंभ करते हुए सबसे पहले दिवंगत पूर्व सदस्यों को श्रद्धांजलि दी। इस दौरान सभी विधायकों ने मौन धारण कर दिवंगत आत्माओं को श्रद्धांजलि अर्पित की। इसके पश्चात कार्यवाही को मंगलवार तक के लिए स्थगित कर दिया गया।

SIR को लेकर विपक्ष का जबरदस्त विरोध

हालांकि, कार्यवाही की शुरुआत से पूर्व ही विपक्षी दलों ने विशेष तीव्र पुनरीक्षण अभियान को लेकर सरकार पर निशाना साधना शुरू कर दिया था। विधानसभा परिसर में विपक्षी विधायकों ने सरकार के खिलाफ नारेबाज़ी की और आरोप लगाया कि राज्य में मतदाता सूची के इस विशेष पुनरीक्षण अभियान का दुरुपयोग कर लोगों के नाम वोटर लिस्ट से हटाए जा रहे हैं।

तेजस्वी यादव ने सरकार पर लगाए गंभीर आरोप

नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने कहा कि, “SIR अभियान के नाम पर नीतीश सरकार लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन कर रही है। लोगों के नाम बिना किसी सूचना या प्रक्रिया के मतदाता सूची से हटाए जा रहे हैं। यह संविधान के खिलाफ है और चुनाव प्रक्रिया को प्रभावित करने की साजिश है।”

तेजस्वी यादव ने सवाल उठाया कि आखिर किन मापदंडों के आधार पर मतदाता सूची की पुनरावृत्ति की जा रही है और क्यों इसे इतनी गोपनीयता से अंजाम दिया जा रहा है।

सरकार का पक्ष

वहीं, सत्ताधारी जदयू और भाजपा नेताओं ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि विशेष पुनरीक्षण एक नियमित प्रक्रिया है, जिसे चुनाव आयोग के दिशा-निर्देशों के अनुसार संचालित किया जा रहा है। जदयू विधायक विजय कुमार चौधरी ने कहा कि, “SIR कोई साजिश नहीं, बल्कि लोकतांत्रिक प्रक्रिया का हिस्सा है। इसका मकसद केवल मतदाता सूची को अद्यतन करना है। विपक्ष इसे अनावश्यक रूप से राजनीतिक मुद्दा बना रहा है।”

विधान परिषद में भी गूंजा SIR विवाद

विधान परिषद में भी SIR को लेकर बहस छिड़ गई। राजद, कांग्रेस और वाम दलों के सदस्यों ने यह मुद्दा उठाया और सरकार से जवाब मांगा। विपक्षी सदस्यों ने इस प्रक्रिया की समीक्षा के लिए एक विशेष समिति गठित करने की मांग भी की।

आम लोगों में भी बढ़ी चिंता

इस बीच, आम जनता में भी मतदाता सूची से नाम हटाए जाने को लेकर चिंता का माहौल है। कई जिलों से ऐसी शिकायतें सामने आई हैं कि लोगों के नाम बिना किसी पूर्व सूचना के मतदाता सूची से गायब कर दिए गए हैं। राजनीतिक दलों और नागरिक संगठनों ने चुनाव आयोग से पारदर्शिता सुनिश्चित करने की मांग की है।

चुनाव आयोग की भूमिका पर भी सवाल

विपक्ष का यह भी आरोप है कि चुनाव आयोग राज्य सरकार के दबाव में काम कर रहा है और उसने SIR प्रक्रिया में पर्याप्त पारदर्शिता नहीं दिखाई। तेजस्वी यादव ने चुनाव आयोग को पत्र लिखकर इस अभियान पर तत्काल रोक लगाने की मांग की है।

राजनीतिक तापमान चढ़ा

सत्र की पहली ही सुबह जिस तरह से विधानसभा में हंगामा हुआ, उससे यह स्पष्ट है कि आने वाले दिनों में मानसून सत्र काफी गर्म रहने वाला है। विपक्ष SIR मुद्दे पर सरकार को घेरने के मूड में है, वहीं सरकार इसे विपक्ष की सस्ती राजनीति बता रही है।

क्या है विशेष तीव्र पुनरीक्षण (SIR)?

विशेष तीव्र पुनरीक्षण (SIR) मतदाता सूची को अद्यतन करने की एक प्रक्रिया है, जो आमतौर पर चुनाव आयोग द्वारा समय-समय पर की जाती है। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना होता है कि मतदाता सूची से मृत, स्थानांतरित या अयोग्य मतदाताओं के नाम हटाए जाएं और नए योग्य मतदाताओं को जोड़ा जाए। परंतु इस बार जिस तरीके से यह प्रक्रिया बिहार में लागू की गई, उसे लेकर विवाद और संदेह के बादल मंडरा रहे हैं।

निष्कर्ष

बिहार विधानसभा के मानसून सत्र की शुरुआत जिस तरह से राजनीतिक घमासान और SIR विरोध के साथ हुई, उससे यह स्पष्ट है कि आने वाले दिनों में सदन में तीखी बहस देखने को मिलेगी। विपक्ष इस मुद्दे को जनाधिकार और लोकतंत्र से जोड़कर जनता के बीच ले जाने की तैयारी कर रहा है। वहीं, सरकार को अब इस विवाद से पार पाने के लिए तथ्यात्मक और पारदर्शी जवाब देना होगा। मंगलवार को जब सदन दोबारा बैठेगा, तब यह देखना दिलचस्प होगा कि इस मुद्दे पर कितनी तीखी बहस होती है और क्या कोई समाधान निकल पाता है।

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