कोलकाता (13 जुलाई, 2025):
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी 16 जुलाई को कोलकाता में एक विरोध रैली का नेतृत्व करेंगी। यह रैली भारतीय जनता पार्टी (BJP) शासित राज्यों में बंगाली प्रवासियों के कथित उत्पीड़न और भेदभाव के विरोध में आयोजित की जा रही है। तृणमूल कांग्रेस (TMC) का कहना है कि बंगालियों को “बांग्लादेशी” कहकर अपमानित किया जा रहा है, जो किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
इस विरोध रैली के साथ-साथ राज्य भर में तृणमूल कांग्रेस द्वारा एक साथ प्रदर्शन आयोजित किए जाएंगे। पार्टी का उद्देश्य इस मुद्दे को व्यापक जनसहयोग के साथ उठाना है और बंगालियों की गरिमा और पहचान की रक्षा करना है।
क्या है मामला?
हाल के हफ्तों में तृणमूल कांग्रेस ने यह आरोप लगाया है कि भाजपा शासित कुछ राज्यों में बंगाल से बाहर काम करने वाले मजदूरों और प्रवासियों को निशाना बनाया जा रहा है। उनके साथ नस्लीय भेदभाव, अपमानजनक भाषा और पुलिस द्वारा परेशान किए जाने की घटनाएं सामने आई हैं।
TMC नेताओं ने दावा किया है कि बंगाली भाषा का अपमान किया जा रहा है, और कई मौकों पर प्रवासियों को “बांग्लादेशी” कहकर बुलाया गया है — जो कि न सिर्फ असंवैधानिक है, बल्कि सांस्कृतिक रूप से अपमानजनक भी है।
TMC की सख्त चेतावनी
राज्य की मंत्री और वरिष्ठ TMC नेता चंद्रिमा भट्टाचार्य ने रविवार (13 जुलाई) को कहा, “अगर बंगाली भाषा का अपमान किया जाएगा, या किसी बंगाली को ‘बांग्लादेशी’ कहा जाएगा, तो यह कतई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। ममता बनर्जी के नेतृत्व में हम सड़कों पर उतरेंगे और इसका पुरजोर विरोध करेंगे।”
उन्होंने आगे कहा कि यह सिर्फ राजनीतिक मुद्दा नहीं, बल्कि सांस्कृतिक पहचान और सम्मान का सवाल है।
राजनीतिक पृष्ठभूमि
यह आंदोलन ऐसे समय में सामने आया है जब केंद्र और राज्यों के बीच विधानसभा चुनावों की हलचल शुरू हो चुकी है। तृणमूल कांग्रेस पहले से ही भाजपा के खिलाफ विपक्षी गठबंधन का हिस्सा है, और इस मुद्दे को लेकर ममता बनर्जी का आक्रामक रुख भविष्य की राजनीतिक रणनीति का संकेत देता है।
रैली की तैयारियाँ और सुरक्षा व्यवस्था
कोलकाता पुलिस को ममता बनर्जी की रैली को लेकर अलर्ट कर दिया गया है। रैली मूल रूप से शहर के केंद्र से शुरू होकर शहीद मीनार या रानी रश्मोनी रोड जैसे प्रमुख स्थलों तक पहुंचेगी। प्रशासन को बड़ी भीड़ के जुटने की संभावना है, और ट्रैफिक रूट में बदलाव भी किया जा सकता है।
TMC के सूत्रों के अनुसार, राज्य के हर जिले में पार्टी कार्यकर्ता 16 जुलाई को सड़कों पर उतरेंगे। जगह-जगह विरोध सभाएं, मानव श्रृंखला और सांस्कृतिक कार्यक्रमों के माध्यम से जनता को इस मुद्दे से जोड़ने का प्रयास किया जाएगा।
BJP की प्रतिक्रिया
भाजपा ने तृणमूल कांग्रेस के आरोपों को निराधार बताते हुए कहा है कि यह एक राजनीतिक ड्रामा है, जिसका उद्देश्य बंगालियों को डराकर राजनीतिक लाभ उठाना है। भाजपा नेता सुकांत मजूमदार ने कहा, “ममता बनर्जी हर मुद्दे में भाजपा को दोषी ठहराने की आदत बना चुकी हैं। वह अपनी नाकाम सरकार से ध्यान हटाने के लिए ऐसे विरोध करती हैं।”
प्रवासी बंगालियों की प्रतिक्रिया
दूसरी ओर, महाराष्ट्र, गुजरात और दिल्ली जैसे राज्यों में काम कर रहे कई बंगाली प्रवासियों ने यह स्वीकार किया कि उन्हें कई बार स्थानीय लोगों की ओर से संदिग्ध नज़रों से देखा जाता है। कई युवाओं ने सोशल मीडिया पर वीडियो पोस्ट कर कहा कि उन्हें ‘बांग्लादेशी’ या ‘घुसपैठिया’ कहकर बुलाया गया।
कोलकाता में रहने वाली सामाजिक कार्यकर्ता दीपा रॉय कहती हैं, “यह सिर्फ राजनीति नहीं, बल्कि हमारी संस्कृति और पहचान की लड़ाई है। अगर आज आवाज़ नहीं उठाई गई, तो कल ये और भी गंभीर रूप ले लेगा।”
क्या है TMC की रणनीति?
राजनीतिक जानकारों का मानना है कि ममता बनर्जी इस मुद्दे को सांस्कृतिक अस्मिता और बंगाली स्वाभिमान से जोड़कर 2026 के विधानसभा चुनावों में बड़ा मुद्दा बना सकती हैं। खासकर ग्रामीण और प्रवासी वर्ग में इसका असर गहरा हो सकता है