रांची | 16 जून 2025: झारखंड की राजधानी रांची के नामकुम प्रखंड में जंगली जानवर का आतंक ग्रामीणों के लिए सिरदर्द बनता जा रहा है। पिछले दो महीनों से जंगलों में सक्रिय यह रहस्यमयी शिकारी अब तक तीन मवेशियों को अपना शिकार बना चुका है। क्षेत्र के हेसो बंडातारा और लाली जंगलों में लगातार उसकी मौजूदगी देखी जा रही है। ग्रामीणों में दहशत का माहौल है, जबकि वन विभाग फिलहाल इसे बाघ होने की पुष्टि नहीं कर पाया है।
कहाँ फैला है आतंक?
नामकुम प्रखंड के हेसो, लाली और हुवांगहातु इलाकों में पिछले कुछ सप्ताहों से ग्रामीणों ने रात्रि के समय अजीब आवाजें सुनने और जानवर की झलक देखने की बात कही है। हेसो बंडातारा जंगल में तीन मवेशियों के शव मिले हैं जिन पर नुकीले पंजों के गहरे निशान पाए गए। इस कारण स्थानीय लोगों को आशंका है कि यह कोई बाघ हो सकता है।
एक ग्रामीण ने बताया:
“हमने अपने मवेशियों को जंगल के किनारे बांध रखा था। सुबह देखा तो तीन जानवर मृत पड़े थे। उनके शरीर पर जिस तरह के पंजों के निशान थे, वैसा हमने पहले कभी नहीं देखा।”
ग्रामीणों में दहशत का माहौल
इस घटना के बाद से नामकुम प्रखंड के कई गांवों में भय का माहौल है। लोग रात को अपने घरों से निकलने से डर रहे हैं। बच्चों को स्कूल भेजने में भी परिजन हिचकिचा रहे हैं। मवेशियों को जंगल के किनारे ले जाने पर रोक लगा दी गई है।
स्थानीय पंचायत प्रतिनिधि ने कहा:
“अगर वन विभाग ने जल्द कार्रवाई नहीं की तो कोई बड़ा हादसा हो सकता है। गांव वाले अब अपने पशुओं को खुला नहीं छोड़ रहे हैं और रात को पहरा दे रहे हैं।”
क्या है वन विभाग की प्रतिक्रिया?
वन विभाग की टीम ने मौके का मुआयना किया है और जानवर के पैरों के निशान एवं मवेशियों के शवों का निरीक्षण किया है। प्रारंभिक जांच में स्पष्ट नहीं हो पाया है कि यह जानवर बाघ है या तेंदुआ।
वन विभाग अधिकारी ने बताया:
“हमें पंजों के निशान मिले हैं लेकिन अभी पक्के तौर पर नहीं कह सकते कि यह बाघ है। कैमरा ट्रैप लगाया जा रहा है, जिससे जानवर की पहचान हो सके।”
जंगल में कैमरा ट्रैप की तैयारी
वन विभाग की टीम अब लाली और हेसो जंगल में कैमरा ट्रैप लगाने की प्रक्रिया में है ताकि जानवर की पहचान की जा सके। इसके लिए दो टीमें गठित की गई हैं जो इलाके की निगरानी कर रही हैं।
कैमरा ट्रैप की मदद से रात के समय जानवर की तस्वीरें कैद की जाएंगी, जिससे न केवल उसकी प्रजाति की पुष्टि हो सकेगी बल्कि उसकी गतिविधियों पर भी नजर रखी जा सकेगी।
स्थानीय प्रशासन की चुप्पी
इस गंभीर स्थिति के बावजूद स्थानीय प्रशासन की ओर से अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। ग्रामीणों का कहना है कि उन्होंने कई बार अधिकारियों को पत्र लिखकर सहायता की गुहार लगाई है लेकिन उन्हें आश्वासन के अलावा कुछ नहीं मिला।
एक महिला ग्रामीण ने कहा:
“सरकार को हमसे सिर्फ वोट चाहिए, लेकिन हमारी सुरक्षा की कोई चिंता नहीं। क्या जानवर के हमले में किसी की जान जाएगी तब हरकत में आएंगे?”
पिछले हमलों का इतिहास
यह कोई पहली घटना नहीं है जब झारखंड में जंगली जानवरों ने मानव बस्तियों के पास आकर हमला किया हो। पिछले वर्षों में चतरा, गुमला और लातेहार जिलों में तेंदुए और बाघ के हमले की कई घटनाएं सामने आ चुकी हैं।
जंगलों की कटाई और बस्तियों का विस्तार भी इन जानवरों के प्राकृतिक आवासों में दखल डाल रहा है, जिससे वे भोजन की तलाश में गांवों की ओर रुख कर रहे हैं।
सुरक्षा को लेकर ग्रामीणों की मांग
ग्रामीणों की सबसे बड़ी मांग है कि:
जंगल में कैमरा ट्रैप और पिंजरे जल्द लगाए जाएं
प्रभावित क्षेत्र में वन रक्षक दल की 24×7 तैनाती हो
मवेशियों की क्षति का मुआवजा तुरंत मिले
बच्चों और बुजुर्गों की सुरक्षा के लिए जागरूकता अभियान चलाया जाए
निष्कर्ष
रांची के नामकुम इलाके में जंगली जानवर का आतंक अब सामान्य समस्या नहीं रह गया है। लगातार हो रहे हमलों ने ग्रामीणों को डरा दिया है और प्रशासन की निष्क्रियता से मामला और गंभीर होता जा रहा है। वन विभाग को जल्द से जल्द इस रहस्यमयी शिकारी की पहचान कर उसे पकड़ने की दिशा में काम करना होगा, ताकि गांवों की शांति और सुरक्षा लौटाई जा सके।