21 जुलाई से शुरू होगा संसद का मानसून सत्र, पहली बार पहलगाम हमले के बाद होगी बैठक
नई दिल्ली (4 जून, 2025):
भारत सरकार ने संसद के मानसून सत्र की तारीखों की घोषणा कर दी है। यह सत्र 21 जुलाई से 12 अगस्त 2025 तक चलेगा। संसदीय कार्य मंत्री किरन रिजिजू ने बुधवार को जानकारी दी कि संसद सत्र बुलाने के लिए प्रस्ताव राष्ट्रपति को भेजा गया है। यह संसद का पहला सत्र होगा 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले और उसके बाद शुरू हुए ऑपरेशन सिंदूर के बाद।

इस पृष्ठभूमि के चलते इस बार का मानसून सत्र काफी अहम माना जा रहा है। देश की सुरक्षा, कश्मीर घाटी में ताजा हालात, आतंकवाद के खिलाफ सैन्य कार्रवाई, और विपक्ष की प्रतिक्रिया – ये सभी विषय इस सत्र में चर्चा के केंद्र में होंगे।
पहलगाम हमला और ऑपरेशन सिंदूर
22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम इलाके में हुआ आतंकी हमला देश को हिला कर रख गया था। इस हमले में 26 निर्दोष नागरिकों की मौत हो गई थी, जिनमें महिलाएं और बच्चे भी शामिल थे। यह हमला अमरनाथ यात्रा की सुरक्षा को लेकर पहले से जताई गई चिंताओं को भी सच साबित करता है।
इस हमले के बाद केंद्र सरकार ने तीव्र और निर्णायक कदम उठाए। 25 अप्रैल को शुरू किया गया ऑपरेशन सिंदूर, भारतीय सेना और खुफिया एजेंसियों की एक संयुक्त कार्रवाई थी, जिसका उद्देश्य पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में मौजूद आतंकी ठिकानों को नष्ट करना था।
सूत्रों के अनुसार, ऑपरेशन सिंदूर के तहत कई आतंकी शिविरों को निशाना बनाया गया और बड़ी संख्या में आतंकियों को ढेर किया गया। भारत सरकार ने अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी पाकिस्तान को बेनकाब करने के प्रयास तेज किए हैं।
सत्र में क्या हो सकता है खास
इस बार के मानसून सत्र में कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर बहस की उम्मीद है:
राष्ट्रीय सुरक्षा और आतंकवाद पर बहस: विपक्ष, सरकार से ऑपरेशन सिंदूर की रणनीति, खर्च और नतीजों पर जवाब मांग सकता है।
कश्मीर घाटी की स्थिति: स्थानीय चुनाव, शांति प्रक्रिया और पुनर्वास योजनाओं पर चर्चा संभव है।
लोकसभा और राज्यसभा में संभावित बिल: सरकार कुछ नए विधेयकों को पेश कर सकती है, जिनमें राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े संशोधन भी हो सकते हैं।
विपक्ष का आक्रामक रुख: विपक्षी दल सरकार पर खुफिया विफलता, आतंकवाद की रोकथाम में चूक, और नागरिक सुरक्षा को लेकर सवाल उठा सकते हैं।
राजनीतिक तापमान उफान पर
पहलगाम हमले और ऑपरेशन सिंदूर ने देशभर में राजनीतिक बहस को तेज कर दिया है। सत्तारूढ़ दल इसे अपनी निर्णायक कार्रवाई का प्रमाण बता रहा है, वहीं विपक्ष इस पर अधिक पारदर्शिता और संसदीय जवाबदेही की मांग कर रहा है।
सुरक्षा के व्यापक इंतजाम
संसद सत्र के दौरान सुरक्षा को लेकर विशेष प्रबंध किए जा रहे हैं। संसद भवन और उसके आसपास सुरक्षा बलों की तैनाती बढ़ाई जाएगी। साथ ही, सांसदों और कर्मचारियों के लिए विशेष आईडी वेरिफिकेशन और बायोमेट्रिक स्कैनिंग की व्यवस्था की जा रही है।
निष्कर्ष:
संसद का यह मानसून सत्र देश के लिए कई मायनों में ऐतिहासिक हो सकता है। जहां एक ओर सुरक्षा और आतंकी खतरे की गंभीरता है, वहीं दूसरी ओर राजनीतिक जवाबदेही और राष्ट्रीय एकता की परीक्षा भी है। सरकार और विपक्ष – दोनों की जिम्मेदारी है कि इस सत्र को सार्थक बनाया जाए और जनहित को प्राथमिकता दी जाए।