बलरामपुर, उत्तर प्रदेश: उत्तर प्रदेश के बलरामपुर जिले में धर्मांतरण मामले में एक बड़ा खुलासा हुआ है। यहां कथित तौर पर धर्म परिवर्तन कराने वाले छांगुर बाबा नामक व्यक्ति को गिरफ्तार किया गया है, जिस पर हिंदू बहन-बेटियों की सौदेबाजी और जबरन धर्मांतरण का गंभीर आरोप है। इस पूरे घटनाक्रम को लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने तीखी प्रतिक्रिया दी है और इसे समाज के खिलाफ षड्यंत्र करार दिया।

सीएम योगी ने इस मामले में कड़ा संदेश देते हुए कहा, “बलरामपुर में जल्लाद को गिरफ्तार किया गया है, जो हिंदू बहन-बेटियों की सौदेबाजी कर रहा था। अब कानून अपना काम करेगा।”
मामला क्या है?
बलरामपुर जिले के पचपेड़वा क्षेत्र में रहने वाले एक स्वयंभू बाबा छांगुर बाबा पर आरोप है कि वह लंबे समय से अपने आश्रम के माध्यम से लोगों का धर्म परिवर्तन करवा रहा था। प्रशासन के मुताबिक, बाबा गरीब और पिछड़े वर्ग के लोगों को बहला-फुसलाकर धर्मांतरण के लिए उकसाता था। पीड़ितों ने बताया कि उन्हें नौकरी, पैसा और इलाज के नाम पर गुमराह किया गया।
इस मामले में पुलिस ने गुप्त सूचना के आधार पर छापेमारी की और छांगुर बाबा को गिरफ्तार किया। आश्रम से कई संदिग्ध दस्तावेज, धर्मांतरण से जुड़े प्रचार साहित्य और कथित रूप से जबरन धर्म बदलवाने के प्रमाण मिले हैं।
योगी आदित्यनाथ का तीखा हमला
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस पूरे मामले पर तीखी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में बहन-बेटियों के सम्मान से खिलवाड़ करने वालों को बख्शा नहीं जाएगा।
सीएम योगी ने कहा, “ये वो लोग हैं जो धर्म के नाम पर समाज में जहर घोल रहे हैं। बहन-बेटियों की सौदेबाजी कर रहे हैं। ये जल्लाद समाज के लिए अभिशाप हैं। हमने ऐसे ही एक जल्लाद को बलरामपुर में पकड़ा है और अब उसे कानून के शिकंजे में लाया जा रहा है।”
प्रशासन की कार्रवाई
बलरामपुर प्रशासन और पुलिस विभाग ने संयुक्त कार्रवाई करते हुए बाबा के खिलाफ कड़ी धाराओं में एफआईआर दर्ज की है। बाबा पर IPC की धारा 295A (धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाना), 506 (धमकी देना), और उत्तर प्रदेश धर्मांतरण प्रतिषेध अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है।
जिलाधिकारी बलरामपुर ने मीडिया को बताया, “प्रथम दृष्टया यह पाया गया है कि आरोपी धर्म के नाम पर लोगों को गुमराह कर रहा था। उसे गिरफ्तार कर पूछताछ की जा रही है और जल्द ही चार्जशीट दाखिल की जाएगी।”
पीड़ितों के बयान
कुछ पीड़ित महिलाओं ने बताया कि उन्हें इलाज और नौकरी का लालच देकर बाबा के संपर्क में लाया गया। धीरे-धीरे उन्हें धार्मिक रीति-रिवाज बदलने के लिए मजबूर किया गया। एक महिला ने कहा, “हमें कहा गया कि अगर हम उनका धर्म अपनाते हैं तो हमारी बीमारियां ठीक हो जाएंगी, बच्चों को स्कूल में दाखिला मिलेगा और नौकरी भी मिलेगी।”
पिछला इतिहास
सूत्रों के अनुसार, छांगुर बाबा पहले भी विवादों में रह चुका है। उस पर जमीन कब्जाने, अवैध निर्माण और महिलाओं के साथ अनुचित व्यवहार के भी आरोप लग चुके हैं। हालांकि, पहले कभी कोई सख्त कार्रवाई नहीं हो पाई थी।
अब जब मामला सामने आया है और मुख्यमंत्री योगी खुद इस पर सख्त रुख अपना चुके हैं, प्रशासन को आरोपी के खिलाफ ठोस कानूनी कार्रवाई करने का दबाव है।
सरकार का रुख
उत्तर प्रदेश सरकार पहले भी जबरन धर्मांतरण के मामलों में सख्ती बरत चुकी है। योगी सरकार ने 2021 में धर्मांतरण विरोधी कानून को लागू किया था, जिसके तहत जबरन या धोखे से धर्म बदलवाने को गंभीर अपराध माना गया है।
सरकार का दावा है कि इस कानून से अब तक कई मामलों पर लगाम लगी है, लेकिन अब भी कुछ गुप्त गतिविधियां चल रही हैं जिन्हें खत्म करना जरूरी है।
सीएम योगी ने अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि ऐसे सभी संदिग्ध धार्मिक संस्थानों और व्यक्तियों की निगरानी बढ़ाई जाए और ज़ीरो टॉलरेंस की नीति के तहत कार्रवाई हो।
राजनीतिक बयानबाज़ी
इस पूरे मामले पर राजनीतिक हलकों में भी हलचल मच गई है। भाजपा नेताओं ने इसे “लव जिहाद और धर्मांतरण के सिंडिकेट” का हिस्सा बताया, वहीं विपक्ष ने सरकार से पूछा है कि अब तक इस गतिविधि को क्यों नजरअंदाज किया गया।
समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता ने कहा, “अगर ये बाबा इतना समय से यह कर रहा था तो स्थानीय प्रशासन सो रहा था क्या? सरकार सिर्फ बयान देने की बजाय अपने तंत्र को भी कठघरे में खड़ा करे।”
सोशल मीडिया पर बहस
इस खबर के सामने आते ही सोशल मीडिया पर भी बहस छिड़ गई है। ट्विटर, फेसबुक और इंस्टाग्राम पर लोग दो धड़ों में बंटे नजर आए – एक वर्ग बाबा की गिरफ्तारी को न्याय बता रहा है तो दूसरा वर्ग इसे धार्मिक आजादी का उल्लंघन बता रहा है।
हैशटैग्स जैसे #बलरामपुरबाबा, #धर्मांतरण_गिरफ्तारी, #CMYogiOnFire ट्रेंड करने लगे।
निष्कर्ष
बलरामपुर की यह घटना उत्तर प्रदेश में धर्मांतरण को लेकर चल रही बहस को एक बार फिर गर्मा गई है। सीएम योगी के सख्त बयान से साफ है कि सरकार अब इस मामले में कोई ढिलाई नहीं बरतेगी। यह घटना आने वाले समय में राज्य की धार्मिक नीति, प्रशासनिक सतर्कता और सामाजिक चेतना के लिए एक कसौटी साबित हो सकती है।
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