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देहरादून-मसूरी रोपवे का निर्माण तेज़ी पर, 2026 तक सफर होगा सिर्फ 15 मिनट का!

देहरादून:
उत्तराखंड की बहुप्रतीक्षित देहरादून-मसूरी रोपवे परियोजना अब अंतिम चरणों की ओर बढ़ रही है। 26 टावरों में से 24 टावरों का फाउंडेशन कार्य पूरा कर लिया गया है, जबकि शेष दो टावरों पर काम जल्द शुरू होने की उम्मीद है।

यह परियोजना राज्य सरकार की पर्यटन और यातायात विकास योजनाओं में शामिल सबसे महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट्स में से एक है।

बारिश बनी बाधा, लेकिन काम जारी
हालांकि बरसात के कारण निर्माण की रफ्तार थोड़ी धीमी पड़ी है, फिर भी कार्य लगातार चल रहा है। अधिकारियों का कहना है कि निर्माण कार्य को निर्धारित समय यानी वर्ष 2026 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। मानसून के बाद शेष दो टावरों पर भी काम शुरू कर दिया जाएगा।

वन विभाग से मंजूरी के बाद बढ़ेगा काम
बचे हुए दो टावर उन इलाकों में स्थित हैं जो वन क्षेत्र के अंतर्गत आते हैं। इनके लिए वन विभाग की अनुमति आवश्यक है। संबंधित विभाग से अनुमति की प्रक्रिया अंतिम चरण में है और मिलते ही शेष कार्य भी शुरू कर दिया जाएगा।

पार्किंग और टर्मिनल स्टेशन का कार्य भी प्रगति पर
रोपवे की शुरुआत देहरादून के पुरकुल गांव से होगी, जहां एक बड़ी पार्किंग सुविधा विकसित की जा रही है। वहीं, मसूरी में टर्मिनल स्टेशन का निर्माण कार्य भी तेज़ी से जारी है। इन दोनों स्थानों को आधुनिक सुविधाओं से लैस किया जाएगा ताकि पर्यटकों को सुविधा और सुरक्षा दोनों सुनिश्चित हो सके।

15 मिनट में पहुंचे मसूरी
यह रोपवे देश के सबसे बड़े और उन्नत तकनीक से लैस रोपवे प्रोजेक्ट्स में गिना जाएगा। इसकी कुल लंबाई लगभग 5.5 किलोमीटर होगी और यह सफर मात्र 15 मिनट में पूरा हो जाएगा। इसके लिए 55 आधुनिक केबिन लगाए जाएंगे, जो एक बार में लगभग 10 लोगों को ले जाने में सक्षम होंगे।

पर्यटन को मिलेगा बढ़ावा
देहरादून-मसूरी रोपवे परियोजना के पूरा होने से न सिर्फ मसूरी पहुंचना आसान और तेज़ होगा, बल्कि देहरादून और मसूरी के बीच ट्रैफिक दबाव भी कम होगा। इसके अलावा, यह उत्तराखंड पर्यटन को एक नई ऊंचाई देगा। अनुमान है कि इस परियोजना से सालाना लाखों पर्यटक लाभान्वित होंगे।

पर्यावरण और सुरक्षा का भी ध्यान
परियोजना को इस तरह से डिजाइन किया गया है कि पर्यावरण पर न्यूनतम प्रभाव पड़े। निर्माण के दौरान पहाड़ी क्षेत्रों की स्थिरता, हरियाली और वन्यजीवों की सुरक्षा का विशेष ध्यान रखा जा रहा है। साथ ही, रोपवे की तकनीकी सुरक्षा के लिए अंतरराष्ट्रीय मानकों को अपनाया गया है।

सरकार का विज़न
उत्तराखंड सरकार का लक्ष्य है कि पर्वतीय पर्यटन को विश्वस्तरीय सुविधाओं से जोड़ा जाए। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कई बार इस परियोजना का निरीक्षण किया है और इसे समय पर पूरा करने के निर्देश दिए हैं। परियोजना पर निजी और सरकारी निवेश दोनों मिलकर काम कर रहे हैं।

स्थानीय लोगों को भी होगा लाभ
इस रोपवे से सिर्फ पर्यटक ही नहीं, बल्कि स्थानीय लोग भी लाभान्वित होंगे। यात्रा में लगने वाला समय घटेगा, रोजगार के अवसर बढ़ेंगे और क्षेत्रीय आर्थिक विकास को भी गति मिलेगी। निर्माण के दौरान भी बड़ी संख्या में स्थानीय श्रमिकों को रोजगार दिया गया है।

निष्कर्ष
देहरादून-मसूरी रोपवे परियोजना उत्तराखंड के पर्यटन, पर्यावरण और यातायात क्षेत्र में एक क्रांतिकारी बदलाव लाने वाली साबित हो सकती है। जब यह 2026 में पूरी तरह से तैयार होगी, तो यह केवल एक रोपवे नहीं, बल्कि एक स्मार्ट, सुरक्षित और टिकाऊ यात्रा अनुभव का प्रतीक बनेगी।


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