देहरादून, 9 जुलाई 2025 – उत्तराखंड सरकार ने धर्म की आड़ में ठगी और पाखंड फैलाने वालों के खिलाफ बड़ा कदम उठाया है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मंगलवार को ‘ऑपरेशन कालनेमि’ शुरू करने के निर्देश दिए हैं। यह विशेष अभियान उन छद्म भेषधारी ढोंगियों और असामाजिक तत्वों के खिलाफ चलाया जाएगा जो साधु-संतों के रूप में महिलाओं और भोले-भाले श्रद्धालुओं को ठगते हैं, और सनातन संस्कृति को कलंकित करते हैं।

सरकार का कहना है कि हाल के दिनों में धार्मिक वेशभूषा का दुरुपयोग कर अपराध करने की घटनाएं बढ़ी हैं।
कुछ लोग साधु-संत का चोला पहनकर धर्मस्थलों, मेलों और धार्मिक आयोजनों में घुसकर ठगी, चोरी और महिलाओं से दुष्कर्म जैसी घटनाओं को अंजाम दे रहे हैं। इससे ना सिर्फ आमजन की सुरक्षा पर खतरा मंडरा रहा है, बल्कि धार्मिक भावनाएं भी आहत हो रही हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि “उत्तराखंड देवभूमि है और यहां सनातन संस्कृति का अपमान किसी भी हाल में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। पाखंड फैलाने वालों को पहचान कर उनके खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई होगी।”
क्या है ऑपरेशन कालनेमि?
‘कालनेमि’ रामायण में वह राक्षस था जिसने साधु का वेश धारण कर हनुमान जी को धोखा देने की कोशिश की थी। इसी संदर्भ में यह नाम चुना गया है। ऑपरेशन कालनेमि का मकसद है धार्मिक वेश में छिपे अपराधियों की पहचान करना, उनके नेटवर्क को तोड़ना और जनता में विश्वास बहाल करना।
अभियान के मुख्य बिंदु:
तीर्थ स्थलों और आश्रमों की गहन जांच
पंजीकरण रहित बाबाओं और साधुओं की सत्यापन प्रक्रिया
महिलाओं से जुड़ी शिकायतों पर त्वरित कार्रवाई
धार्मिक स्थलों पर स्थानीय प्रशासन और पुलिस की निगरानी बढ़ाना
सोशल मीडिया के जरिए जनजागरूकता अभियान चलाना
धामी सरकार का संदेश:
मुख्यमंत्री धामी ने स्पष्ट किया है कि उत्तराखंड सरकार धर्म, आस्था और सनातन परंपरा की रक्षा के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है, लेकिन धर्म की आड़ में अपराध करने वालों को किसी भी सूरत में बख्शा नहीं जाएगा।
पुलिस और प्रशासन सतर्क:
राज्य के पुलिस प्रमुख ने सभी जिलों को अलर्ट पर रखा है। हरिद्वार, ऋषिकेश, बद्रीनाथ, केदारनाथ जैसे धार्मिक स्थलों पर अतिरिक्त निगरानी और सत्यापन अभियान शुरू हो गया है। आने वाले समय में पुलिस गुप्त सूचना तंत्र के जरिए ऐसे नकली बाबाओं की लिस्ट तैयार करेगी।
संत समाज की प्रतिक्रिया:
उत्तराखंड में रहने वाले असली संतों और अखाड़ों ने इस फैसले का स्वागत किया है। उनका कहना है कि “कुछ लोग साधु-संतों की छवि को बदनाम कर रहे हैं। ऐसे ढोंगियों के खिलाफ सरकार की यह सख्ती समय की जरूरत है।”
निष्कर्ष:
‘ऑपरेशन कालनेमि’ उत्तराखंड सरकार का एक कड़ा और साहसिक कदम है, जो देवभूमि को ढोंग और पाखंड से मुक्त करने की दिशा में एक मजबूत शुरुआत माना जा रहा है। इससे न सिर्फ धर्म और आस्था की रक्षा होगी, बल्कि आम नागरिकों का विश्वास भी मजबूत होगा।