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नेशनल मेडिकल कमीशन को मिले 24 नए पार्ट-टाइम सदस्य, लॉटरी के जरिए हुआ चयन

नई दिल्ली, 16 जुलाई 2025
स्वास्थ्य क्षेत्र में सुधार की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए केंद्र सरकार ने नेशनल मेडिकल कमीशन (NMC) और इसके चार स्वायत्त बोर्डों के लिए 24 अंशकालिक (पार्ट-टाइम) सदस्यों का चयन किया है।

यह चयन मंगलवार, 15 जुलाई 2025 को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जे. पी. नड्डा की उपस्थिति में लॉटरी प्रक्रिया के माध्यम से किया गया।

इस नियुक्ति प्रक्रिया के दौरान NMC के साथ-साथ इसके चार स्वायत्त बोर्ड—यूजी मेडिकल एजुकेशन बोर्ड, पीजी मेडिकल एजुकेशन बोर्ड, मेडिकल असेसमेंट एंड रेटिंग बोर्ड, और एथिक्स एंड रजिस्ट्रेशन बोर्ड—के लिए भी अंशकालिक सदस्यों का चयन किया गया। यह सभी बोर्ड भारत के चिकित्सा शिक्षा और चिकित्सा पद्धति के नियमन और संचालन के लिए जिम्मेदार हैं।

लॉटरी प्रक्रिया से चयन: पारदर्शिता पर जोर
स्वास्थ्य मंत्रालय ने इस बार चयन प्रक्रिया को पूरी तरह पारदर्शी और निष्पक्ष बनाने के उद्देश्य से लॉटरी प्रणाली अपनाई। चयन प्रक्रिया में मेडिकल कॉलेजों से नामित प्रतिनिधियों के नामों को ड्रा के जरिए चुना गया। यह कदम यह सुनिश्चित करने के लिए उठाया गया कि किसी भी प्रकार की पक्षपातपूर्ण नियुक्ति न हो और देश भर से विविध क्षेत्रों के डॉक्टरों को प्रतिनिधित्व मिल सके।

जे. पी. नड्डा ने कहा- ‘स्वास्थ्य क्षेत्र में व्यापक सुधार की दिशा में कदम’
चयन प्रक्रिया के दौरान केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जे. पी. नड्डा ने कहा, “नेशनल मेडिकल कमीशन की यह संरचना स्वास्थ्य क्षेत्र में व्यापक और टिकाऊ सुधार लाने में मदद करेगी। पारदर्शी और निष्पक्ष नियुक्ति प्रणाली से ही एक सशक्त और जवाबदेह मेडिकल गवर्नेंस तैयार होगी।” उन्होंने यह भी कहा कि नए सदस्यों के चयन से मेडिकल शिक्षा, गुणवत्ता मानकों और नैतिक चिकित्सा पद्धति के विकास में गति मिलेगी।

नेशनल मेडिकल कमीशन का कार्यक्षेत्र
नेशनल मेडिकल कमीशन (NMC) देश की शीर्ष चिकित्सा नियामक संस्था है, जो वर्ष 2020 में मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (MCI) के स्थान पर अस्तित्व में आई। इसका उद्देश्य देश में मेडिकल शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार लाना, मेडिकल संस्थानों के निरीक्षण और मूल्यांकन की निगरानी करना और चिकित्सा पेशे में नैतिकता को बढ़ावा देना है।

NMC चार स्वायत्त बोर्डों के माध्यम से काम करता है:

  1. यूजी मेडिकल एजुकेशन बोर्ड – अंडरग्रेजुएट चिकित्सा शिक्षा से जुड़े मानदंड निर्धारित करता है।
  2. पीजी मेडिकल एजुकेशन बोर्ड – स्नातकोत्तर चिकित्सा शिक्षा की देखरेख करता है।
  3. मेडिकल असेसमेंट एंड रेटिंग बोर्ड – चिकित्सा कॉलेजों का मूल्यांकन करता है और अनुमति/प्रमाणन प्रदान करता है।
  4. एथिक्स एंड रजिस्ट्रेशन बोर्ड – डॉक्टरों की पंजीकरण प्रक्रिया और पेशेवर आचार संहिता को नियंत्रित करता है।

देशभर से आएंगे प्रतिनिधि
इस बार चुने गए 24 अंशकालिक सदस्य देश के विभिन्न हिस्सों से चयनित किए गए हैं, जिससे क्षेत्रीय प्रतिनिधित्व सुनिश्चित हो सके। यह प्रतिनिधि भारत के प्रमुख शैक्षणिक संस्थानों और चिकित्सा महाविद्यालयों से आएंगे, जो अपने अनुभव और विशेषज्ञता के माध्यम से चिकित्सा शिक्षा और स्वास्थ्य नीति को मजबूत बनाने में योगदान देंगे।

महत्वपूर्ण बदलाव की उम्मीद
स्वास्थ्य क्षेत्र से जुड़े विशेषज्ञों का मानना है कि इन नियुक्तियों से NMC को नई दिशा और ऊर्जा मिलेगी। खासकर मेडिकल छात्रों, डॉक्टर्स और मेडिकल संस्थानों को अधिक स्पष्ट दिशा-निर्देश और पारदर्शी निरीक्षण की सुविधा मिलेगी।

भविष्य में और बदलाव की उम्मीद
NMC के कामकाज को लेकर पिछले कुछ वर्षों में कई बार आलोचना भी हुई है, लेकिन सरकार द्वारा पारदर्शी नियुक्ति प्रणाली और जवाबदेही आधारित दृष्टिकोण से यह संदेश स्पष्ट है कि स्वास्थ्य व्यवस्था को और मजबूत किया जाएगा।

निष्कर्ष
केंद्र सरकार द्वारा NMC में 24 नए अंशकालिक सदस्यों की नियुक्ति स्वास्थ्य सेवा और चिकित्सा शिक्षा को अधिक सशक्त और पारदर्शी बनाने की दिशा में एक सकारात्मक प्रयास है। यह नियुक्तियाँ न केवल क्षेत्रीय विविधता को दर्शाती हैं, बल्कि स्वास्थ्य नीति और चिकित्सा शिक्षा में सुधार के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता को भी रेखांकित करती हैं।

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