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छात्रावास में घुसे 5 हाथी, चावल-सब्जी खाकर मचाया तांडव!

झाड़ग्राम (पश्चिम बंगाल):
झाड़ग्राम जिले के लोधाशुली से सटे गड़सालबनी इलाके में उस वक्त हड़कंप मच गया जब विकास भारती शिशु आवासिक केंद्र के परिसर में पांच हाथियों का एक दल घुस आया। यह दल पास के जंगल से भोजन की तलाश में आया था और उन्होंने छात्रावास परिसर में जमकर उत्पात मचाया। हाथियों ने न सिर्फ रसोईघर के स्टोर रूम में रखे चावल और सब्जी खाई, बल्कि परिसर की दीवारें तोड़ दीं और बागान को भी तहस-नहस कर दिया।

भोजन की तलाश में पहुंचे हाथी

प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, हाथियों का यह झुंड लोधाशुली जंगल से गड़सालबनी की ओर आया था। दो बच्चों समेत कुल पांच हाथियों का यह दल विकास भारती शिशु आवासिक केंद्र में घुस आया। सबसे पहले उन्होंने रसोईघर के स्टोर रूम का दरवाजा तोड़ा और वहां रखे चावल व सब्जियों को बाहर निकालकर खा लिया। इस घटना ने न केवल छात्रावास के बच्चों में डर पैदा किया, बल्कि आसपास के गांवों में भी दहशत का माहौल बना दिया।

परिसर में मचाई तबाही

स्थानीय लोगों का कहना है कि हाथियों ने परिसर की दीवार को ध्वस्त कर दिया और परिसर में बने सब्जी बागान को पूरी तरह नष्ट कर दिया। बच्चों के रहने और पढ़ने की यह जगह सुरक्षित नहीं रह गई थी। करीब आधे घंटे तक हाथी परिसर में घूमते रहे, जिससे बच्चों और स्टाफ की जान सांसत में आ गई।

वन विभाग की त्वरित कार्रवाई

घटना की जानकारी मिलते ही वन विभाग की एक टीम मौके पर पहुंची और हाथियों को जंगल की ओर खदेड़ा गया। वन विभाग के अधिकारियों ने बताया कि हाथियों को किसी प्रकार की क्षति पहुंचाए बिना उन्हें जंगल की ओर लौटाया गया। विभाग के अधिकारियों ने आश्वासन दिया कि आने वाले दिनों में इलाके में पेट्रोलिंग बढ़ाई जाएगी और कोशिश की जाएगी कि हाथियों को रिहायशी इलाकों से दूर रखा जाए।

वन अधिकारी का कहना है, “हाथी अक्सर भोजन की तलाश में रिहायशी इलाकों की ओर आ जाते हैं। हमने उन्हें सुरक्षित रूप से जंगल की ओर भेज दिया है और स्थानीय लोगों को सतर्क रहने की सलाह दी है।”

ग्रामीणों में बढ़ी चिंता

गड़सालबनी इलाके के ग्रामीणों में हाथियों के इस हमले के बाद डर और चिंता का माहौल है। लोगों का कहना है कि यह पहली बार नहीं है जब हाथियों ने इस क्षेत्र में घुसपैठ की हो। इससे पहले भी कई बार फसलों को नुकसान पहुंचाया गया है, लेकिन इस बार यह हमला बच्चों के छात्रावास में हुआ है, जिससे लोगों की चिंता और बढ़ गई है।

एक स्थानीय ग्रामीण ने कहा, “हमें डर है कि अगर हाथियों का दल फिर लौट आया तो बच्चों की जान को खतरा हो सकता है। वन विभाग को स्थायी समाधान निकालना चाहिए।”

पुनरावृत्ति रोकने की मांग

स्थानीय पंचायत और स्कूल प्रशासन ने वन विभाग से इलाके में स्थायी उपाय करने की मांग की है ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाओं से बचा जा सके। उन्होंने सुझाव दिया है कि जंगल और रिहायशी इलाकों के बीच मजबूत बाड़ लगाई जाए और जंगल किनारे फूड ट्रैप्स या सोलर फेंसिंग जैसे उपाय किए जाएं।

विद्यालय के एक शिक्षक ने कहा, “बच्चे बेहद डरे हुए हैं। कई बच्चों ने खाने से मना कर दिया है और रात में ठीक से सो नहीं पा रहे हैं। हमें जल्द समाधान की जरूरत है।”

पश्चिम बंगाल में हाथियों की बढ़ती घुसपैठ

यह घटना ऐसे समय में हुई है जब पश्चिम बंगाल के जंगलों से सटे क्षेत्रों में हाथियों की घुसपैठ के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं। झाड़ग्राम, पुरुलिया और बांकुड़ा जैसे जिलों में हाथी अक्सर खेतों में घुस आते हैं और फसलें नष्ट कर देते हैं। इससे न केवल आर्थिक नुकसान होता है, बल्कि मानव-वन्यजीव संघर्ष भी बढ़ता जा रहा है।

विशेषज्ञों का मानना है कि जंगलों में भोजन और पानी की कमी, तथा मानव बस्तियों का जंगलों की ओर बढ़ना इन संघर्षों का कारण है।

क्या कहते हैं वन्यजीव विशेषज्ञ

वन्यजीव विशेषज्ञों का कहना है कि हाथियों की गतिविधि पर नजर रखने के लिए ड्रोन सर्विलांस, कैमरा ट्रैप और जीपीएस कॉलर जैसी आधुनिक तकनीकें अपनाई जानी चाहिए। साथ ही जंगलों में उनके लिए पर्याप्त भोजन-पानी की व्यवस्था होनी चाहिए ताकि वे मानव बस्तियों की ओर न आएं।

एक विशेषज्ञ ने बताया, “जब तक हाथियों के प्राकृतिक आवास में भोजन-पानी की कमी दूर नहीं होती, तब तक इस तरह की घटनाएं होती रहेंगी। हमें दीर्घकालिक नीति की जरूरत है।”

सरकारी योजनाओं की स्थिति

राज्य सरकार की ओर से मानव-हाथी संघर्ष को रोकने के लिए कई योजनाएं चलाई जाती हैं, जैसे “प्रोजेक्ट एलीफेंट” और “ह्यूमन-एलीफेंट कॉन्फ्लिक्ट मैनेजमेंट स्कीम”, लेकिन इनकी जमीनी स्थिति संतोषजनक नहीं कही जा सकती। कई क्षेत्रों में जागरूकता और निगरानी की कमी के चलते समस्या और गंभीर होती जा रही है।

निष्कर्ष

विकास भारती शिशु आवासिक केंद्र में हाथियों के इस हमले ने एक बार फिर से मानव-वन्यजीव संघर्ष की गंभीरता को उजागर किया है। बच्चों की सुरक्षा को लेकर अब अभिभावकों और ग्रामीणों में चिंता है। वन विभाग की त्वरित कार्रवाई से स्थिति पर तो नियंत्रण पा लिया गया है, लेकिन यह जरूरी है कि भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों इसके लिए प्रभावी और दीर्घकालिक उपाय किए जाएं।

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