नई दिल्ली, 16 जून 2025 — जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए भीषण आतंकी हमले को लेकर देशभर में आक्रोश है। इस बीच, तृणमूल कांग्रेस (TMC) के वरिष्ठ नेता और सांसद अभिषेक बनर्जी ने केंद्र सरकार पर सीधा हमला बोला है। उन्होंने इसे “राष्ट्रीय सुरक्षा में बड़ी विफलता” बताया और केंद्र की चुप्पी व जवाबदेही की कमी को लेकर गंभीर सवाल खड़े किए हैं।
बनर्जी ने इस आतंकी हमले को लेकर केंद्र से पाँच अहम सवाल पूछे हैं, जिनमें शामिल हैं — सीमा सुरक्षा, विदेश नीति, खुफिया तंत्र की विफलता और जनता को भरोसे में लेने की केंद्र की “असमर्थता”।
क्या है पहलगाम हमला?
14 जून को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम क्षेत्र में तीर्थयात्रियों की बस को निशाना बनाकर आतंकियों ने हमला किया था। इस हमले में अब तक 9 लोगों की मौत हो चुकी है और 30 से अधिक घायल हुए हैं। हमले के पीछे पाक समर्थित आतंकियों की साजिश मानी जा रही है। यह हमला ऐसे समय हुआ जब अमरनाथ यात्रा की तैयारियां जोरों पर हैं।
अभिषेक बनर्जी का तीखा हमला
सोमवार को संसद भवन परिसर में पत्रकारों से बातचीत करते हुए TMC सांसद अभिषेक बनर्जी ने कहा —
“यह न सिर्फ एक आतंकी हमला है, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा में गहरी सेंध है। सवाल यह है कि केंद्र सरकार की जिम्मेदारी क्या है? कौन लेगा जवाबदेही?”

उन्होंने आगे कहा कि जब देश की सीमाएं असुरक्षित हों, जब खुफिया तंत्र फेल हो जाए, और जब सरकार हमले के बाद चुप्पी साधे रहे — तो जनता को जवाब कौन देगा?
बनर्जी के 5 बड़े सवाल
- खुफिया एजेंसियां विफल क्यों रहीं?
क्या हमारे सुरक्षा तंत्र को पहले से कोई इनपुट नहीं था? अगर था, तो उसे नजरअंदाज क्यों किया गया? - सीमा सुरक्षा में चूक कैसे हुई?
क्या LOC पर निगरानी कमजोर पड़ी है? आतंकी इस तरह खुलेआम हमला करने में कैसे सफल हुए? - क्या केंद्र की विदेश नीति विफल हो गई है?
पाकिस्तान और चीन की बढ़ती सांठगांठ के बीच भारत की कूटनीतिक रणनीति पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं। - हमले के बाद सरकार क्यों चुप?
प्रधानमंत्री या गृहमंत्री की ओर से अभी तक कोई ठोस बयान क्यों नहीं आया? क्या जनता को भरोसे में लेना जरूरी नहीं? - जवाबदेही कौन लेगा?
क्या गृह मंत्रालय या सुरक्षा एजेंसियों के शीर्ष अधिकारी इस हमले की जिम्मेदारी लेंगे?
विपक्ष ने मिलकर साधा निशाना
अभिषेक बनर्जी के बयान के बाद कांग्रेस, AAP, शिवसेना (UBT) जैसे विपक्षी दलों ने भी सरकार की आलोचना तेज कर दी है। कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने कहा —
“हर बार हमले के बाद सरकार सिर्फ बयान देती है। लेकिन इस बार देश को जवाब चाहिए। सिर्फ ‘कड़ी निंदा’ नहीं चलेगी।”
सरकार की ओर से चुप्पी
अब तक केंद्र सरकार की ओर से इस हमले को लेकर कोई विस्तृत प्रेस कॉन्फ्रेंस या उच्च स्तरीय बयान सामने नहीं आया है। गृह मंत्रालय ने एक संक्षिप्त बयान में कहा है कि “घटना की जांच जारी है और दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा।” लेकिन इस बयान से न तो सवालों के जवाब मिले हैं, न ही जनता की चिंता कम हुई है।
राष्ट्रीय सुरक्षा पर राजनीतिक बहस
यह पहली बार नहीं है जब आतंकी हमलों को लेकर केंद्र सरकार की नीति और खुफिया व्यवस्था पर सवाल उठे हों। पुलवामा, उरी और अब पहलगाम — इन सभी हमलों के बाद सरकार की कार्रवाई और जवाबदेही को लेकर विवाद होते रहे हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि भारत को अब रिएक्टिव नहीं, प्रोएक्टिव नीति अपनानी होगी। सुरक्षा व्यवस्था को आधुनिक तकनीकों और बेहतर समन्वय के जरिए मजबूत करना होगा।
कश्मीर में फिर से उबाल
पहलगाम हमला एक बार फिर जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा हालात पर सवाल खड़ा करता है। धारा 370 हटने के बाद सरकार ने दावा किया था कि आतंकवाद पर लगाम लगी है, लेकिन इस तरह के हमले यह दर्शाते हैं कि जमीनी हकीकत कुछ और ही है।
निष्कर्ष: क्या देश को जवाब मिलेगा?
अभिषेक बनर्जी के सवाल भले ही राजनीतिक हों, लेकिन उनके पीछे जनता की चिंता छिपी है। देश यह जानना चाहता है कि इतनी बड़ी सुरक्षा चूक के लिए जवाबदेह कौन है? क्या सिर्फ आतंकियों को मार गिराना ही समाधान है, या व्यवस्था को मजबूत करना भी जरूरी है?
जब तक इन सवालों के जवाब पारदर्शिता और गंभीरता से नहीं दिए जाते, तब तक जनता का भरोसा डगमगाता रहेगा। पहलगाम हमला सिर्फ एक आतंकी हमला नहीं, बल्कि सिस्टम की परीक्षा है — जिसमें अब सरकार को जवाब देना ही होगा।