
नई दिल्ली/इटली, 18 जून 2025
इटली के अपुलिया में चल रही G-7 शिखर सम्मेलन में भारत की उपस्थिति ने एक बार फिर वैश्विक मंच पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कूटनीतिक सक्रियता को उजागर कर दिया। मोदी ने सम्मेलन के दौरान सिर्फ 10 घंटे में 12 द्विपक्षीय बैठकें कर वैश्विक नेताओं के साथ रणनीतिक, आर्थिक और तकनीकी विषयों पर चर्चा की।
भारत भले ही G-7 का सदस्य नहीं है, लेकिन ग्लोबल साउथ की आवाज़ और एक उभरती आर्थिक शक्ति के तौर पर भारत की उपस्थिति को नज़रअंदाज नहीं किया जा सकता।
🌐 किन-किन नेताओं से हुई मुलाकात?
प्रधानमंत्री मोदी ने जिन नेताओं से मुलाकात की, उनमें शामिल हैं:
जस्टिन ट्रूडो (कनाडा के प्रधानमंत्री)
एमैनुएल मैक्रों (फ्रांस के राष्ट्रपति)
ओलाफ शोल्ज़ (जर्मनी के चांसलर)
फुमियो किशिदा (जापान के प्रधानमंत्री)
एंड्रेस मैनुअल लोपेज़ ओब्राडोर (मेक्सिको के राष्ट्रपति)
जॉर्जिया मेलोनी (इटली की प्रधानमंत्री और G-7 समिट की मेज़बान)
इसके अलावा, पीएम मोदी ने ब्राज़ील, तुर्की, यूक्रेन, और दक्षिण अफ्रीका के नेताओं से भी विचार-विमर्श किया। कई देशों के साथ तकनीक, निवेश, जलवायु परिवर्तन, और रक्षा सहयोग जैसे मुद्दों पर ठोस बातचीत हुई।
🕒 10 घंटे, 12 मीटिंग्स: क्या रहा खास?
ये सभी मीटिंग्स शिखर सम्मेलन से इतर आयोजित की गईं।
मोदी ने कई बैठकों में भारतीय समुदाय के लिए वीजा नीति में सुधार, निवेश के अवसर, रक्षा सहयोग और स्टार्टअप साझेदारी जैसे मुद्दे उठाए।
ग्लोबल साउथ की आवाज के रूप में उन्होंने विकासशील देशों की चिंताओं को भी रखा।
यह कार्यक्रम ना सिर्फ भारत की डिप्लोमैटिक एक्टिवनेस को दर्शाता है बल्कि यह भी साबित करता है कि भारत को अब विश्व नेता गंभीरता से सुनते हैं।
🤝 पीएम मोदी की ‘बॉन्डिंग डिप्लोमेसी’
G-7 के मौके पर पीएम मोदी की व्यक्तिगत केमिस्ट्री कई राष्ट्राध्यक्षों के साथ देखने को मिली:
फ्रांस के राष्ट्रपति मैक्रों ने मोदी को “ग्लोबल पीस बिल्डर” कहा।
कनाडा के पीएम ट्रूडो के साथ मतभेद के बावजूद, संवाद का सिलसिला दोबारा शुरू हुआ।
जापान के पीएम किशिदा के साथ इंडो-पैसिफिक रणनीति पर अहम चर्चा हुई।
इटली की प्रधानमंत्री मेलोनी ने मोदी से मिलकर ‘मेलोदी’ (Meloni+Modi) मीम को दोहराया, जो सोशल मीडिया पर छा गया।
🇮🇳 भारत का एजेंडा क्या था?
भारत ने G-7 में निम्नलिखित प्रमुख विषयों पर अपना दृष्टिकोण रखा:
- वैश्विक दक्षिण की भागीदारी को बढ़ावा देना
- टेक्नोलॉजी ट्रांसफर और डिजिटल समावेशन
- क्लाइमेट चेंज पर न्यायसंगत समाधान
- विकासशील देशों के लिए फाइनेंसिंग एक्सेस
- आतंकवाद के विरुद्ध एकजुट कार्रवाई
प्रधानमंत्री मोदी ने स्पष्ट कहा कि “अब वक्त है कि G-7 जैसे समूह अपने एजेंडे में ग्लोबल साउथ को भी प्रमुख स्थान दें।”
🌍 भारत को लेकर वैश्विक प्रतिक्रियाएं
- G-7 देशों के नेताओं और मीडिया में भी भारत की भूमिका की सराहना हुई:
- BBC ने लिखा: “India’s assertive diplomacy steals spotlight at G-7.”
- Le Monde (फ्रांस) ने मोदी को “नया रणनीतिक साझेदार” कहा।
- Japan Times ने Indo-Pacific में भारत-जापान सहयोग को निर्णायक बताया।
📸 सोशल मीडिया पर छाए मोदी
प्रधानमंत्री मोदी की मेलोनी के साथ सेल्फी और अन्य राष्ट्राध्यक्षों के साथ हँसमुख संवाद सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं।
ModiInG7, #Melodi, #IndiaAtG7 जैसे हैशटैग्स ट्रेंड में रहे। इससे भारत की छवि एक सशक्त, संवादात्मक और कूटनीतिक नेतृत्व के रूप में उभरी।
🛡 रणनीतिक लाभ क्या हैं भारत के लिए?
- रणनीतिक संबंधों को मजबूती
- टेक्नोलॉजी, रक्षा और ऊर्जा में संभावित निवेश
- ग्लोबल पॉलिसी निर्माण में भारत की भागीदारी
- नवाचार और स्टार्टअप सहयोग में विस्तार
- जलवायु परिवर्तन और सस्टेनेबल फाइनेंसिंग में भागीदारी
✍ निष्कर्ष
G-7 समिट 2025 में भारत की मौजूदगी केवल एक आमंत्रित देश के तौर पर नहीं रही, बल्कि ग्लोबल एजेंडा को आकार देने वाली शक्ति के रूप में रही। पीएम नरेंद्र मोदी की त्वरित लेकिन ठोस मीटिंग्स, नेताओं के साथ गहरी संवाद क्षमता, और भारत की नीति स्पष्टता ने यह संदेश दिया कि भारत अब केवल दर्शक नहीं, नीति-निर्माता भी है।